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--पौष पूर्णिमा से कल्पवास आरम्भ, सात लाख से अधिक कल्पवासियों की भव्य व्यवस्था--गंगा की धारा के निकट कल्पवासियों के शिविर लगाने को प्राथमिकता, हर कल्पवासी के शिविर में अलाव की व्यवस्थाप्रयागराज, 17 दिसम्बर (हि.स.)। तीर्थराज प्रयाग के संगम तट में लगे आस्था के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक समागम में तप, साधना और संयम की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। भक्ति और अध्यात्म की यह त्रिधारा है कल्पवास। जिसकी शुरुआत पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ होगी। प्रदेश की योगी सरकार ने महाकुम्भ में कल्पवासियों के लिए भी विशेष इंतजाम किए हैं।
--महाकुम्भ में 7 लाख से अधिक कल्पवासियों से गुलजार होंगे गंगा के तटमहाकुम्भ में यहां ज्ञान, भक्ति और साधना के विविध रंग दिखते हैं। अखाड़ों के वैभव के अतिरिक्त यहां कल्पवासियों की जप, तप और संयम की त्रिवेणी भी प्रवाहित होती है। पौष पूर्णिमा से पूरे एक महीने तक गंगा और यमुना की रेत पर तम्बुओं के शिविर बनाकर ठिठुरती ठंड में साधना करने वाले कल्पवासियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। एडीएम महाकुम्भ विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि इस बार लगभग सात लाख कल्पवासियों के लिए प्रशासन ने व्यवस्था की है। कल्पवासी की उम्र और अवस्था को देखते हुए इन्हें बसाया जा रहा है। मेला के विभिन्न सेक्टर्स में लगभग 900 बीघे में इन्हें बसाया जा रहा है। मेला क्षेत्र में मूल रूप से कल्पवास करने वाले इन श्रद्धालुओं को गंगा के तटों के पास ही तम्बुओं की व्यवस्था की गई थी, ताकि सुबह प्रतिदिन इन्हें गंगा स्नान के लिए दूर तक न चलना पड़े।
--कल्पवासियों के शिविर में स्वच्छता पर प्राथमिकतायोगी सरकार के निर्देश पर सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में स्वच्छता के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। एसडीएम मेला अभिनव पाठक के मुताबिक विभिन्न सेक्टर में बस रहे कल्पवासियों के शिविर में भी स्वच्छता को प्राथमिकता दी जा रही है। कल्पवासियों के शिविर में कलर कोडेड डस्टबिन रखे जाएंगे। सूखे कूड़े के लिए अलग और गीले कूड़े के लिए अलग डस्टबिन होंगे। गंगा किनारे किसी तरह का कूड़ा जमा न हो पाए, इसलिए वहां भी डस्टबिन रखे जायेगें। कल्पवासियों से भी अपील की जाएगी कि वह सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल शिविर में न करे। इसके लिए सभी शिविरों के बाहर पोस्टर भी लगाए जाएंगे।
--कल्पवासियों के शिविरों में अलाव की व्यवस्थामाघ के जिस महीने में ये कल्पवासी गंगा के तट पर कल्पवास करते हैं, वह समय कड़ाके की ठंड का होता है। बुजुर्ग कल्पवासियों के लिए शीत लहरी से बचाव हो इसके लिए भी प्रशासन कई कदम उठा रहा है। अभिनव पाठक बताते हैं कि प्रशासन कल्पवासियों के शिविर के बाहर अलाव जलाने की व्यवस्था करेगा ताकि शीत लहरी से कल्पवासियों का बचाव हो सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र