छठ पूजा पर 12 हजार करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान : कैट  
- कपड़े, फल, फूल, सब्ज़ी, साड़ियों सहित मिट्टी के चूल्हे का हुआ बड़ा व्यापार - चार दिवसीय छठ पूजा में करीब 15 करोड़ से ज्‍यादा लोग इसमें होंगे शामिल नई दिल्ली, 04 नवंबर (हि.स.)। आस्‍था का पर्व छठ पूजा 5 नवंबर को नहाय-खाय से शुरू होकर 8 नवंबर तक चल
छठ पूजा के लोगो का फाइल फोटो


- कपड़े, फल, फूल, सब्ज़ी, साड़ियों सहित मिट्टी के चूल्हे का हुआ बड़ा व्यापार

- चार दिवसीय छठ पूजा में करीब 15 करोड़ से ज्‍यादा लोग इसमें होंगे शामिल

नई दिल्ली, 04 नवंबर (हि.स.)। आस्‍था का पर्व छठ पूजा 5 नवंबर को नहाय-खाय से शुरू होकर 8 नवंबर तक चलेगा। इस चार दिवसीय छठ पूजा के दौरान बिहार एवं झारखंड के अलावा देश के अन्य राज्यों में बसे पूर्वांचल के लोग बेहद उत्साह एवं उमंग के साथ छठ पूजा करने को तैयार हैं। एक अनुमान के मुताबिक देशभर में लगभग 15 करोड़ से अधिक लोग इसमें शामिल होंगे जिससे 12 हजार करोड़ रुपये का व्यापार होने की संभावना है।

कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री और दिल्ली की चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने सोमवार को कहा कि इस वर्ष छठ पूजा 96 घंटे (4 दिनों) में देशभर में करीब 12 हजार करोड़ रुपये का व्यापार होने की संभावना है। खंडेलवाल ने कहा कि कपड़े, फल, फूल, सब्जी, साड़ियों एवं मिट्टी के चूल्हे सहित छोटे उत्पादों के व्यापार में बड़ा उछाल देखा जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि एक अनुमान के अनुसार देशभर में करीब 15 करोड़ से अधिक लोग छठ पूजा में शामिल होंगे, जिनमें स्त्री, पुरुष युवा के अलावा बच्चे शामिल हैं।

खंडेलवाल ने कहा कि राजधानी नई दिल्ली के सभी भागों में भी बड़ी संख्या में पूर्वांचली लोग रहते है। उन्‍होंने कहा कि विगत कई वर्षों से नई दिल्ली में भी छठ का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है। राजधानी के सैंकड़ों स्थानों पर छठ की पूजा पूर्ण विधि विधान से की जाती है। उन्‍होंने कहा कि दिल्ली में चांदनी चौक, सदर बाज़ार, मॉडल टाउन, अशोक विहार, आदर्श नगर, आज़ादपुर, शालीमार बाग, पीतमपुरा, रानी बाग, पश्चिम विहार, उत्तम नगर, तिलक नगर, कालकाजी, ग्रेटर कैलाश, प्रीत विहार, शाहदरा, लोनी रोड, लक्ष्मी नगर, विकास मार्ग, यमुना विहार, आनंद विहार आदि बाजारों में लोगों के छठ पूजा का सामान ख़रीदने की रौनक़ दिख रही है।

खंडेलवाल ने कहा कि “छठ पूजा केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं बल्कि यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा भी है, जो सामाजिक एकता और समर्पण का प्रतीक है। इससे व्यापार और स्थानीय उत्पादकों को भी सीधा लाभ पहुंचता है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को और मजबूत करेगा। छठ पूजा के दौरान इस्तेमाल होने वाले अधिकांश उत्पाद बड़े पैमाने पर स्थानीय कारीगरों और हस्तशिल्पियों द्वारा बनाये जाते हैं जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर प्राप्त हुए हैं।

सांसद खंडेलवाल ने कहा कि छठ पूजा में प्रयुक्त होने वाली सामग्री, जैसे बांस के सूप, केले के पत्ते, गन्ना, मिठाई, फल विशेष रूप से नारियल, सेब, केला और हरी सब्जियां शामिल है। छठ पूजा के अवसर पर महिलाओं के पारंपरिक परिधानों, जैसे साड़ी, लहंगा-चुन्नी, सलवार कुर्ता और पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा, धोती आदि की बड़ी खरीददारी हुई है, जिससे स्थानीय व्यापारियों को लाभ हुआ है और लघु एवं कुटीर उद्योग को भी बल मिला है। वहीं, घरों में छोटे पैमाने पर बनाये जाने वाले सामान की बड़ी बिक्री हो रही है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया के मुताबिक बिहार एवं झारखंड के अलावा ये त्‍योहार पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ विदर्भ एवं मध्य प्रदेश में भी बड़े जोर-शोर से मनाया जाता है। दरअसल इन सभी राज्यों में पूर्वांचल के लोग बड़ी संख्या में काम करते हुए अपनी जीविका चलाते हैं। यह भारत की संस्कृति एवं सभ्यता है कि जहां छठ पूजा के दौरान उगते सूर्य के साथ पहले डूबते सूर्य की पूजा की जाती है, जो इस बात को स्पष्ट दर्शाता है कि उगते के साथ तो सब होते हैं लेकिन भारत के लोग डूबते का भी सहारा बनते हैं और उसमें भी अपनी ख़ुशियां खोजते हैं।

भरतिया ने कहा कि छठ पूजा का पर्व न केवल आध्यात्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि व्यापार और रोजगार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में उभरा है, जो आने वाले समय में भारतीय बाजारों को नई आर्थिक ऊर्जा देगा। छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपनी संतान और पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना को लेकर करती हैं। इस पूजा में लंबा सिंदूर पति के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए छठ पूजा के दौरान महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर लगाती है। ऐसा माना जाता है महिलाएं जितना लंबा सिंदूर लगाती हैं उनके पति की आयु ही लंबी होती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर