(अपडेट) संविधान के प्रति अश्रद्धा पैदा ना करें और ना करने दें : विधानसभा अध्यक्ष
राजस्थान विधान सभा में पहली बार मनाया गया संविधान दिवस
राजस्थान विधान सभा में पहली बार मनाया गया संविधान दिवस।


जयपुर, 26 नवंबर (हि.स.)। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि संविधान के प्रति अश्रद्धा पैदा ना करें। संविधान के मूल ढांचे को कोई बदल नहीं सकता है। संविधान के बाईस भागों में हमारी संस्कृति और नैतिकता का विवरण है। राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक संविधान को पढ़ें, उसे जानें और उसके अनुकूल जीवन जीने का प्रयास करें। संविधान हमारी आत्मा और पवित्र ग्रंथ है। यह हमारे जीवन मूल्य व संस्कृति का स्वाभिमान भी है। संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक भारत के लोगों की आकांक्षाओं, मूल्यों और आदर्शों का प्रतिबिम्ब है।

देवनानी ने मंगलवार को यहां विधान सभा में संविधान दिवस पर आयोजित समारोह में राजनैतिक आख्यान संग्रहालय में नवनिर्मित संविधान दीर्धा का लोकार्पण किया। इस संविधान दीर्घा में मूल संविधान के बाईस भागों के आरम्भ में दर्शायी गयी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। देवनानी ने बताया कि संविधान दीर्घा का उद्देश्य आमजन और युवाओं में राष्ट्र और राष्ट्र के संविधान का बोध कराने के साथ ही संविधान, सांस्कृतिक और नैतिकता के प्रति जागरुकता लाना है। उन्होंने संविधान दिवस को संविधान निर्माताओं के प्रति श्रद्धाभाव प्रकट करने तथा उनके अविस्मरणीय योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का स्मरण दिवस बताया है।

राजस्थान विधान सभा में अध्यक्ष देवनानी की पहल पर पहली बार आयोजित संविधान दिवस समारोह में सैकडों की संख्या में अधिवक्ता, विधि संस्थानों के छात्र-छात्राओं के साथ ही गणमान्य नागरिक और राजस्थान विधान सभा के अधिकारियों व कर्मचारियों ने भाग लिया। देवनानी ने अधिवक्ताओं का आह्वान किया कि ये संविधान प्रदत्त अधिकारों की पालना कराने में सहयोगी बनें। संविधान की आत्मा और डॉ. अम्बेडकर की अपेक्षाओं के अनुरूप आज के समय की आवश्यकता के अनुसार लोगों को शीघ्र न्याय मिले, सस्ता न्याय मिले, संविधान की रक्षा हो, संविधान में निष्ठा हो और हम सभी असंवैधानिक कार्यों से बचें। उन्होंने समाज और राष्ट्र हित में कार्य करने के लिए कहा।

देवनानी ने कहा कि संविधान के बाईस भागों के मुख पृष्ठ पर भारत की संस्कृति और स्वाभिमान को दिखाती हुई तस्वीरें है। भारत का संविधान विश्व का सबसे लम्बा और लिखित संविधान है। यह हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य की नींव है। भारत के संविधान का इतिहास उन लाखों भारतीयों के संघर्षों और स्वतंत्र होने की आशाओं में निहित है जो स्वतंत्रता, न्याय एवं समानता के लिए तरस रहे थे। महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, बाबा साहब अम्बेडकर, वीर सावरकर जैसे महापुरुषों के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत की पाति के लिए आशा की चिंगारी जलाई थी।

देवनानी ने कहा कि डॉ. बी. आर. अम्बेडकर, जिन्हें संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाना जाता है, ने इस स्मारकीय दस्तावेज का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2015 में बाबा साहब की 125 वी जयंती के उपलक्ष्य में इस विशेष दिवस को 'संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया गया, जिसका उद्देश्य नागरिकों के अंदर संवैधानिक मूल्यों का विकास करना एवं संविधान में आस्था बढ़ाना है। भारतीय संविधान अद्भुत तार्किकता, दूरदर्शिता, संवेदनशीलता से युक्त एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें विश्व के विभिन्न संविधानों के सर्वोत्तम तत्वों को शामिल किया गया था, साथ ही यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और दार्शनिक परम्पराओं का प्रतिनिधित्व करता है।

देवनानी ने कहा कि भारत के नागरिक के रूप में, संविधान के सिद्धान्तों को अपनाएं और इसके आदर्शों पर चलने का प्रयास करे। हमारा लोकतंत्र न केवल राजनीतिक संस्थानों के कामकाज पर बल्कि अपने नागरिकों की सक्रिय भागीदारी पर भी निर्भर करता है। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल्यों को कायम रखते हुए हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भारत आने वाली पीढ़ियों के लिए आशा और प्रगति का प्रतीक बना रहे। उन्होंने कहा कि समय और आवश्यकता के अनुरूप संविधान में संशोधन होते रहते हैं और होने चाहिए।

संसदीय कार्य एवं विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि विधान सभा जैसे पवित्र स्थल पर पहली बार आयोजित संविधान दिवस समारोह महत्वपूर्ण है। संविधान की मूल भावना जनसेवा है और यह मानव शक्ति का संचार है। भारत का संविधान सशक्त है। इसमें भारत के प्रत्येक नागरिक की आस्था बढी है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि राष्ट्र की वायु, धरती और पानी पर राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। राष्ट्र में सभी समान है, इसलिए सभी के लिए एक जैसा विधान है, जिसे संविधान कहते हैं। संविधान के मर्म को गहराई से समझे और अपनी जिम्मेदारी निभायें। महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि विधान सभा की संविधान दीर्घा और आज के दिवस का सामंजस्य है। न्याय पालिका, कार्य पालिका और विद्यायिका को मिलकर संविधान का अनुपालन करना चाहिए। संविधान के ज्ञान का प्रसार ही संविधान दिवस का मूल उद्देश्य है।

अतिरिक्त महाधिवक्ता बसंत छाबा ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ही संविधान का स्वरूप निहित है। वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एन माथुर ने कहा कि अंतिम व्यक्ति को राहत पहुंचाना ही संविधान की अनुपालना है। महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

अध्यक्ष देवनानी ने अतिथियों को संविधान की प्रतियां स्मृति स्वरूप भेंट की। इस मौके पर राजस्थान विधान सभा के सदस्य, पूर्व सदस्य, विशिष्ट सचिव भारत भूषण शर्मा, विशिष्ठ सहायक के.के. शर्मा सहित अधिवक्ता, विधि महाविद्यालय के विद्यार्थी और राजस्थान विधान सभा के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित