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गुवाहाटी, 23 नवंबर (हि.स.)। गुवाहाटी की नगरीय बाढ़ समस्या के समाधान के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस विषय पर सप्ताहव्यापी कार्यशाला का आयोजन किया गया। पांडु कॉलेज के भूगोल विभाग, आर्य विद्या पीठ कॉलेज (स्वायत्त), आईक्यूएसी , एनएसएस और आईआईसी के संयुक्त प्रयास और नई दिल्ली के स्काईलाइन इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इन्फॉर्मेटिक्स के सहयोग से यह कार्यशाला शनिवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
16 सत्रों वाली इस कार्यशाला में गौहाटी विश्वविद्यालय सहित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसके अलावा ब्रिटेन के लिवरपूल विश्वविद्यालय के जलवायु और खगोल विज्ञान विशेषज्ञों और कामरूप डीडीएमए के अधिकारियों ने भी इसमें भाग लिया। स्काईलाइन इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों के साथ गौहाटी विश्वविद्यालय और पांडु कॉलेज के भूगोल विभाग के शिक्षकों ने भी वक्ता के रूप में भाग लिया। कार्यशाला में विषय के सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों पहलुओं पर चर्चा की गई।
कार्यशाला के अंतिम दिन प्रतिभागियों के लिए दीपोर बील (झील) और कालमनी नदी का फील्ड विजिट आयोजित किया गया, ताकि वे नगरीय जल निकासी और जलाशयों की स्थिति का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त कर सकें। कालमनी नदी और दीपोर बील की दयनीय स्थिति पर जागरूकता बढ़ाने के लिए असम डाउनटाउन विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया।
उल्लेखनीय हैं कि बीते सोमवार को पांडु कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय ज्योति बोरा ने इस कार्यशाला का उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि के रूप में आर्य विद्या पीठ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार भट्टाचार्य उपस्थित थे। मुख्य वक्ता डॉ. रवींद्र नाथ तिवारी थे, जो हरियाणा के स्काईलाइन इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इन्फॉर्मेटिक्स के वरिष्ठ वैज्ञानिक और नई दिल्ली के नेतरा एकेडमी के डीन हैं।
इस कार्यशाला में गुवाहाटी की नगरीय बाढ़ समस्या के समाधान के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीकों का उपयोग कर कुल 15 सिफारिशें प्रस्तुत की गईं। पांडु कॉलेज के भूगोल विभाग के मुख्य समन्वयक डॉ. निरंजन भट्टाचार्य ने बताया कि इन सिफारिशों को सरकार और संबंधित प्राधिकरणों को सौंपा जाएगा।
इस कार्यशाला का सफल समापन गुवाहाटी में नगरीय बाढ़ की गंभीर समस्या के समाधान में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर