देहरादून के चौराहे बनेंगे आधुनिकता और पारंपरिक कला के संगम, यातायात होगी सुगम 
- लोक कला, ऐतिहासिक धरोहर और सड़क सुरक्षा के साथ चौराहों का होगा सौंदर्यीकरण देहरादून, 22 नवंबर (हि.स.)। शहर को एक नई पहचान देने के लिए जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल की है। यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने और सड़क सुरक्षा के साथ राज्य की लोक कला और सा
जिलाधिकारी सविन बसंल (फाइल फाेटाे)।


- लोक कला, ऐतिहासिक धरोहर और सड़क सुरक्षा के साथ चौराहों का होगा सौंदर्यीकरण

देहरादून, 22 नवंबर (हि.स.)। शहर को एक नई पहचान देने के लिए जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल की है। यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने और सड़क सुरक्षा के साथ राज्य की लोक कला और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शहर के प्रमुख चौराहों का सुधार और सौंदर्यीकरण किया जाएगा। जिससे नगर के चाैराहा आधुनिकता और परंपरा का संगम बनेंगे।

जिलाधिकारी सविन बसंल ने शुक्रवार को ऋषिपर्णा सभागार कलेक्ट्रेट में पत्रकार वार्ता में बताया कि इस परियोजना के तहत पहले चरण में दिलाराम चौक, साईं मंदिर जंक्शन और कुठाल गेट को विकसित किया जाएगा। इन चौराहों को राज्य की पारंपरिक स्थापत्य कला और सांस्कृतिक प्रतीकों के माध्यम से सजाया जाएगा, जिससे स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को उत्तराखंड की सांस्कृतिक समृद्धि की झलक मिल सके।

इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य यातायात प्रबंधन को प्रभावी बनाना और सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही चौराहों को ऐसा स्वरूप दिया जाएगा, जो राज्य की सांस्कृतिक विरासत और लोक कला को दर्शाए। यह पहल न केवल शहर को खूबसूरत बनाएगी, बल्कि देहरादून की विशिष्ट पहचान को और मजबूत करेगी। जिलाधिकारी सविन बसंल ने कहा कि चौराहों का सौंदर्यीकरण केवल यातायात के लिए नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने का एक प्रयास भी है। यह पहल देहरादून को एक सांस्कृतिक और आधुनिक शहर के रूप में स्थापित करेगी।

इन चौराहों पर दिखेगी उत्तराखंड की अनूठी झलक

दिलाराम चौक पर पारंपरिक पहाड़ी स्थापत्य शैली के अनुसार डिजाइन किया जाएगा। प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक प्रतीकों की मूर्तियां स्थापित होंगी। यातायात सुगम बनाने के लिए अत्याधुनिक संकेतक और ट्रैफिक व्यवस्था लागू की जाएगी। साईं मंदिर जंक्शन पर धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीकों को दर्शाने वाले भित्ति चित्र और कलाकृतियां लगाई जाएंगी। यातायात सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहतर लेन डिवाइडर और सिग्नल लगाए जाएंगे। कुठाल गेट पर राज्य आंदोलन और ऐतिहासिक विभूतियों की स्मृतियां प्रदर्शित की जाएंगी। पारंपरिक हस्तशिल्प और लोक कला के माध्यम से चौराहे को सजाया जाएगा।

सड़क सुरक्षा के लिए उठाए जाएंगे कदम

मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने बताया कि इस परियोजना में सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके तहत चौराहों पर ट्रैफिक लाइट, स्पष्ट लेन मार्किंग और संकेतक लगाए जाएंगे। पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित जोन तैयार किए जाएंगे। दुर्घटना संभावित स्थलों का पुनर्विकास किया जाएगा। नगर मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह ने कहा कि चौराहों और सड़कों की स्थिति का गहन निरीक्षण कर यातायात और सुरक्षा के मानकों के आधार पर योजना बनाई गई है। यह पहल शहर को एक व्यवस्थित और सुरक्षित स्वरूप देने के साथ ही इसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाएगी।

उत्तराखंड की धरोहर को मिलेगा मंच, संस्कृति व विभूतियों का होगा सम्मान

इन चौराहों को राज्य की संस्कृति और परंपरा का आइना बनाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। पारंपरिक मूर्तियां और भित्ति चित्र : राज्य की धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को दर्शाएंगे। लोक कला और हस्तशिल्प: चौराहों पर स्थानीय कारीगरों की कला को प्रदर्शित किया जाएगा। ऐतिहासिक स्मृतियां: उत्तराखंड आंदोलन और राज्य की विभूतियों से जुड़े प्रतीकों को चौराहों पर स्थान दिया जाएगा।

पर्यटन को मिलेगा प्रोत्साहन

चौराहों के सौंदर्यीकरण के माध्यम से न केवल देहरादून की यातायात व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा। स्थानीय और विदेशी पर्यटकों को उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता का अनुभव कराने के लिए इन चौराहों पर पारंपरिक कला और स्थापत्य का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत किया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक व आधुनिक शहर के रूप में उभरेगा देहरादून

जिलाधिकारी ने बताया कि यह परियोजना पहले चरण की शुरुआत है। इसके बाद शहर के अन्य महत्वपूर्ण चौराहों को भी इसी मॉडल पर विकसित किया जाएगा। यह प्रयास देहरादून को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सांस्कृतिक और आधुनिक शहर के रूप में स्थापित करेगा।

देहरादून को मिलेगा नया स्वरूप

यह परियोजना देहरादून के चौराहों को केवल यातायात सुधार का माध्यम नहीं बनाएगी, बल्कि उन्हें राज्य की परंपराओं और आधुनिकता का प्रतीक भी बनाएगी। यह पहल शहरवासियों और पर्यटकों के लिए उत्तराखंड की सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव कराने का एक सशक्त माध्यम साबित होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण