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जम्मू, 20 नवंबर (हि.स.)। जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के भाषा विद्यालय ने भारतीय शिक्षण मंडल, जम्मू कश्मीर और लद्दाख प्रांत के सहयोग से बुधवार को शिक्षण और अनुसंधान में भारतीय ज्ञान परंपराओं को शामिल करने पर दो सप्ताह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मौके पर विषय को लेकर परिप्रेक्ष्य, चुनौतियां और आगे का रास्ते पर चर्चा की गई।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. रश्मि सिंह, आईएएस, आयुक्त सचिव उच्च शिक्षा विभाग, जम्मू और कश्मीर ने शिरकत की। मुख्य अतिथियों में सीयू जम्मू के कुलपति प्रोफेसर संजीव जैन और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गीता सिंह शामिल थीं जबकि मुख्य भाषण गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने दिया।
अपने संबोधन में डॉ. रश्मि सिंह ने भारतीय ज्ञान परंपराओं की गहन अंतःविषयता पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम की समयबद्ध प्रासंगिकता की सराहना की। प्रो. संजीव जैन ने भारत की समृद्ध बौद्धिक विरासत के अनुरूप अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सीयू जम्मू की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। प्रो. गीता सिंह ने प्रतिभागियों को औपनिवेशिक आख्यानों को त्यागने और समकालीन प्रासंगिकता के लिए भारत की ज्ञान प्रणालियों की पुनःकल्पना करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल ने अपने मुख्य भाषण में आध्यात्मिक और बौद्धिक समृद्धि की भूमि के रूप में भारत की विरासत को रेखांकित किया और रूढ़िवादी रूढ़ियों से बदलाव का आग्रह किया।
भाषा विद्यालय की डीन और कार्यक्रम निदेशक प्रो. वंदना शर्मा ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को रेखांकित किया और इसे परिवर्तनकारी विचारों और सहयोग के लिए मंथन के रूप में वर्णित किया। देश भर के विभिन्न विषयों के प्रतिभागी इस शैक्षणिक पहल में शामिल हो रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा