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नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के वन विभाग को तीन पेड़ो को दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग करने वाली याचिका दायर करने पर फटकार लगाई है। जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने वन विभाग के उप संरक्षक से पूछा कि क्या आपने याचिका दायर करने के पहले ये सोचा कि जहां से पेड़ को हटाना चाहते हैं वो वन क्षेत्र माना गया है।
वन विभाग ने याचिका दायर कर आनंद विहार से दिलशाद गार्डेन के बीच बने फ्लाईओवर के बीच तीन पेड़ों को हटाकर दूसरे जगह लगाने की अनुमति देने की मांग की थी। वन विभाग ने कहा था कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) फ्लाई ओवर के रास्ते में बाधा आ रहे तीन पेड़ो को हटाकर दूसरी जगह ले जाने की मांग की थी। पीडब्ल्यूडी का कहना था कि तीन पेड़ों को हटाये जाने के बाद ट्रैफिक की आवाजाही सुगम हो जाएगी।
सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी गौतम नारायण ने पेड़ो को हटाने की मांग का विरोध करते हुए कहा कि जो रास्ता बताया जा रहा है वो वनक्षेत्र माना गया है। वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें उस जगह को वनक्षेत्र माना है। ऐसे में पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सुनवाई के दौरान जब वन विभाग के वकील ने हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी तो हाईकोर्ट ने कहा कि हम याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं देंगे। पहले आप ये बताएं कि आपने ये पता लगाया था कि नहीं कि जिन पेड़ों को हटाने की आप मांग कर रहे हैं वो वनक्षेत्र है। जब वन विभाग इस संबंध में स्पष्टीकरण देगा उसके बाद ही याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाएगी। बता दें कि अगस्त 2023 में हाईकोर्ट ने पेड़ो को काटने की कोई अनुमति नहीं दी जाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रभात मिश्रा