किसी आरोपित को गिरफ्तार करते समय आरेस्ट मेमो में गिरफ्तारी की वजह का कॉलम जोड़ें:  हाई कोर्ट 
नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वो किसी आरोपित को गिरफ्तार करते समय आरेस्ट मेमो में गिरफ्तारी की वजह का कॉलम जोड़ें। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की बेंच ने एक आरोपित की गिरफ्तारी को चुनौती देने
Delhi High Court File Photo


नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वो किसी आरोपित को गिरफ्तार करते समय आरेस्ट मेमो में गिरफ्तारी की वजह का कॉलम जोड़ें। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की बेंच ने एक आरोपित की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसे गिरफ्तार करते समय उसे गिरफ्तारी की वजह नहीं बताई गई थी। ऐसा करना अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 50 का उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अरेस्ट मेमो को देखा और पाया कि अरेस्ट मेमो का जो फॉर्मेट है उसमें गिरफ्तारी की वजह बताने वाला कोई कॉलम नहीं है। कोर्ट ने कहा कि प्रबीर पुरकायस्थ के मामले में साफ कहा गया है कि आरेस्ट मेमो के फॉर्मेट में गिरफ्तारी की वजह बतानी होगी। ऐसे में इस बात की तत्काल जरूरत है कि अरेस्ट मेमो में गिरफ्तारी की वजह बताने वाला कॉलम जोड़ा जाए।

कोर्ट ने कहा कि आरोपित को गिरफ्तार करते समय उसे लिखित रूप से गिरफ्तारी की वजह बताना जरूरी है। आरोपित इसी आधार पर कानूनी सलाह लेने और अपनी हिरासत को चुनौती देने के अलावा जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर सकता है। कोर्ट ने आरोपी प्रणव कुकरेजा की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए कहा कि उसकी गिरफ्तारी की वजह नहीं बताना उसकी स्वतंत्रता का हनन है। आरोपित को 04 नवंबर को तुगलक रोड पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आरोपित को भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए, 406, 328,376,109 और 34 के तहत दर्ज एफआईआर में गिरफ्तार किया गया था।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रभात मिश्रा