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डॉ. श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
हरिद्वार में गंगा सभा के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के पौत्र न्यायमूर्ति (से.नि.) गिरधर मालवीय का गत दिवस निधन हो गया। उन्होंने प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। गिरधर जी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलाधिपति के पद पर आसीन थे। इससे पूर्व वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति पद से सेवानिवृत्त हुए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ए.पी. मिश्र सहित अनेक हस्तियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
गिरधर मालवीय पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके सीने में संक्रमण और सांस लेने में तकलीफ में सुधार न होने की वजह से विशेष विमान से
उन्हें कोलकाता ले जाया जाना था। उनके एकमात्र पुत्र पूर्व महानिदेशक मनोज मालवीय वर्तमान में पश्चिम बंगाल राज्य पुलिस के मुख्य सलाहकार हैं। वे उन्हें उपचार के लिए विमान से कोलकाता ले जाते, उससे कुछ घंटे पहले ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। मनोज मालवीय ने सोमवार सायंकाल उनके पार्थिव शरीर को रसूलाबाद घाट पर मुखाग्नि निधन दी।
स्व. गिरधर मालवीय ने लंबे समय तक न्यायपालिका में सेवाएं दीं और अपनी अलग पहचान बनाई। बीएचयू से उन्होंने पॉलिटिकल साइंस और लॉ में ग्रेजुएशन किया था। गिरधर मालवीय को उत्तर प्रदेश सेवा प्राधिकरण का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था। उन्हें दो बार महामना मालवीय मिशन का राष्ट्रीय प्रमुख भी नियुक्त किया गया। वर्ष 2019 में डॉ. कर्ण सिंह के स्थान पर उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त किया गया था। वह कवि भी थे और न्याय प्रणाली पर भी उनका एकाधिकार था।
गिरधर मालवीय का जन्म 14 नवंबर 1936 को हुआ था। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक उनके दादा मदन मोहन मालवीय थे। वे गोविंद मालवीय की एकमात्र संतान थे। उन्हें 14 मार्च सन 1988 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का सन् 2018 में कुलाधिपति चुना गया। मालवीय वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से नरेन्द्र मोदी के प्रत्याशी के प्रस्तावक के तौर पर रहे। न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय के पुत्र आईपीएस अधिकारी मनोज, बहू जया और पत्नी कांता अंतिम समय में उनके साथ रहे। उनकी दो पुत्रियों में एक दीपाली प्रियदर्शी और रुचि भार्गव भी निधन की जानकारी मिलने के बाद प्रयागराज पहुंच गईं। उनके दामाद प्रियदर्शी शिशिर जेनेवा में भारत के राजदूत भी रहे हैं।
न्यायमूर्ति (से.नि.) गिरधर मालवीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2014 के पहली बार वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन के दौरान प्रमुख प्रस्तावकों में से एक रहे थे। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान भी उन्हें विशेष मेहमान के तौर पर आमंत्रित किया गया था। न्यायिक सेवा में उनके योगदान, गंगा सफाई अभियान में उनकी प्रतिबद्धता और सामाजिक कार्यों के प्रति उनकी निष्ठा को देश सदैव याद रखेगा। उनका जाना शिक्षा व न्याय जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
गिरधर मालवीय गंगा सफाई अभियान में भी काफी सक्रिय रहे हैं व गंगा महासभा का अध्यक्ष भी उन्हें नियुक्त किया गया था। मेरा यह सौभाग्य है कि कुछ वर्ष पहले जस्टिस गिरधर मालवीय हरिद्वार गंगा सभा आए तो सुप्रसिद्ध हिंदी विद्वान डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण के साथ मुझे भी जस्टिस मालवीय के साथ गंगा आरती व गंगा पूजा में शामिल होने का अवसर मिला था। वे बड़ी आत्मीयता से मिले थे और मुझे न्याय सेवा की बाबत कुछ सुझाव भी दिए। उनका आशीर्वाद आज मेरे लिए धरोहर बन गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी