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-डॉ. मयंक चतुर्वेदी
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की एतिहासिक जीत जहां दुनिया के कई देशों के लिए संकट बनकर उभरी है, वहीं भारत के लिए ट्रंप का सत्ता में आना हर तरह से लाभदायक रहने जा रहा है। वैसे, इस वक्त भारत की अर्थव्यवस्था का वर्तमान मूल्य 3.5 ट्रिलियन डॉलर है और वैश्विक स्तर पर पाँचवीं सबसे बड़ी जीडीपी बना हुआ है। देश में पिछले दशक की तुलना में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दोगुना हुआ है। आगे भारत 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। लेकिन उसे विश्व की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए अभी अनेक कार्य सफलता के साथ करने हैं। जिसमें एक बड़ा फैक्टर अंतरराष्ट्रीय राजनीति एवं अर्थव्यवस्था का है। भारत को सभी ओर से पूरी तरह यदि यह साथ मिलता है, तो हो सकता है कि वह दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था अपने तय समय 2030 से पहले ही बन जाए। इस नजरिए से अमेरिकन राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत भारत की सफलता में नया इतिहास लिखती दिख रही है।
दरअसल, पहले आर्थिक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि वर्तमान में 3,600 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था भारत का लक्ष्य 2047 तक 30 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है। भारत फिलहाल दुनिया की सबसे तेज विकास दर से आगे बढ़ रहा है। लेकिन अब अर्थव्यवस्था की मुख्य रेटिंग देने वाली एजेंसी मूडीज ने भी मान लिया है कि अमेरिका की सत्ता में हुए बदलाव का लाभ विश्व के कई देशों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को होने जा रहा है। मूडीज के अनुसार ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका की वैश्विक नीतियों में जो बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे उनमें राजकोषीय, व्यापार, जलवायु और प्रवासी मुद्दे शामिल हैं।
मूडीज की रेटिंग्स के विश्लेषण से यह भी सामने आया है कि भारत को मुख्य फायदा अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के कारण होने जा रहा है, क्योंकि एशियाई क्षेत्र में काम करने के लिए चीन में बैठी कई अमेरिकी कंपनियां भारत में भी चाइना प्लस वन नीति के तहत बड़ा निवेश कर सकती हैं। ट्रंप का चीन के विषय पर व्यापक टैरिफ भी भारत की अर्थव्यवस्था को एक बड़ी गति देने का काम करेगा, क्योंकि ट्रंप चीनी आयात पर भारी टैक्स लगाने के संकेत दे चुके हैं। इसके साथ ही एशिया-प्रशांत रणनीतिक क्षेत्र में अमेरिकी दखल बढ़ने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती है। यह बदलाव संभवतः चीन की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा और क्षेत्रीय विकास को प्रभावित करेगा। इसके विपरीत, भारत और आसियान जैसे देशों को इस बदलते परिदृश्य में नए अवसर मिल सकते हैं।
एजेंसी मूडीज का कहना है कि इस बदलाव के परिणामस्वरूप संभवतः जीवाश्म ईंधन उद्योग के लिए नए सिरे से समर्थन मिलेगा, पर्यावरण संबंधी नियमों में ढील आना स्वभाविक है, जिसका सीधा फायदा भारत को मिलेगा। इससे पहले मार्केट रिसर्च फर्म नोमुरा और ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में भी इस बात का साफ उल्लेख है कि ट्रंप के चुनाव जीतने से भारतीय कंपनियों के लिए निर्यात के नए रास्ते खुलेंगे। इसी तरह से जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कैसे चीन के मेटल्स पर टैक्स बढ़ाने से भारत के मेटल एक्सपोर्टर को फायदे हो सकते हैं। इसके साथ ही चीन पर डोनाल्ड ट्रंप के रुख से भारतीय केमिकल एक्सपोर्ट के लिए अमेरिकी बाजार के और खुलने की उम्मीद है। कपड़ा और टाइल्स खासतौर से मोरबी सिरेमिक उद्योग की मांग बढ़ सकती है, चीनी सामानों पर मोटा टैरिफ लगाने का मतलब है अमेरिकी लोगों के सामने भारत से इन चीजों को खरीदना, जिसका सीधा लाभ भारत को मिलना तय है।
यह भी माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत से भारतीय मिडकैप आईटी फर्मों के लिए मौके पैदा होना तय है। ट्रंप की जीत के साथ ब्रोकरेज हाउस के रिसर्च नोट भी सामने आने लगे हैं। सभी को याद होगा कि पिछली बार ट्रंप के ही कार्यकाल में परस्पर हथियारों की बिक्री के साथ टेक्नोलॉजी हस्तांतरण, भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में बड़े लक्ष्य प्राप्त किए गए थे, इस दिशा में फिर मजबूत कदम होंगे, यह उम्मीद की जा रही है। वहीं, आप यह भी मानकर चलिए कि साउथ एशिया में डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण से बहुत बदलाव देखने को मिलेंगे, जिसमें कि वर्तमान अमेरिका आतंकवाद और उग्रवाद पर कड़ा रुख अपनाता दिखाई देगा।
इसके अलावा भारत को देखने का डोनाल्ड ट्रंप का एक नजरिया यह भी है, जो हमने पूर्व अमेरिकन राष्ट्रपति रहते उनका देखा था। उसके बाद भी वे खुलकर भारत के समर्थन में बोलते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने या पुलवामा आतंकी हमले के बाद ट्रंप ने ‘राइट टू सेल्फ डिफेंस’ वाली बात कही थी जो सीधे तौर पर भारत का पक्ष लेना था, यानी भारत के संदर्भ में तत्कालीन भारत सरकार का जो निर्णय रहा, उसके साथ ट्रंप खड़े दिखाई दिए थे। उम्मीद करें कि इस बार के अमेरिकन राष्ट्रपति शासनकाल में भी वह भारत की नीतियों एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ खड़े दिखाई देंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी