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कहा जाता है कि बॉलीवुड में काम पाने के लिए आपके सर पर गॉड फादर का हाथ होना जरूरी है। किसी व्यक्ति की सहायता से नौकरी पाना बहुत आसान है, लेकिन मनोरंजन की इस मायावी दुनिया में अपने लिए एक सही जगह बनाना बहुत मुश्किल है, जब आपका साथ देने वाला कोई न हो। बॉलीवुड में कई प्रामाणिक अभिनेता भी हैं, जिन्होंने बिना किसी की मदद लिए अपने दम पर अपनी नई पहचान बनाई है। इन्हीं में से एक हैं विक्रांत मैसी। विक्रांत बॉलीवुड के टॉप एक्टर्स में से एक हैं। सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी। विक्रांत का बचपन बहुत ही ख़राब हालात में बीता। हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने अपने परिवार की झेली गई कठिनाइयों के बारे में बताया।
विक्रांत ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनके माता-पिता पहले कपूर परिवार के पड़ोसी थे, लेकिन कुछ पारिवारिक विवाद के कारण उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया। उस समय उन पर दुखों का बड़ा पहाड़ टूट पड़ा। माँ, पिताजी, मुझे और भाई सभी को घर से बाहर निकाल दिया गया। मुझे अपने परिवार के साथ एक गोदाम में रहना पड़ा क्योंकि वहां कोई अन्य उपयुक्त घर नहीं था। मेरा भाई उस समय बहुत छोटा था।
खाने के डिब्बों का काम करती थीं मां
विक्रांत ने आगे अपनी मां की मेहनत को भी याद किया। उन्होंने कहा कि मेरी मां ने हमारा घर चलाने के लिए बहुत मेहनत की। वह लोगों के लिए खाने के डिब्बे बनाती थी। इसके लिए वह सुबह 3 बजे उठ जाती थीं। इसके बाद 4 बजे से खाना बनाना शुरू हो जाता था। ठीक 6 बजे कुल 20 लोगों को लंच बॉक्स देना था। एक बार जब डिब्बे तैयार हो जाते, तो डिब्बे उन्हें ले जाना। इसके अलावा वह चौथी से सातवीं तक के बच्चों को पढ़ाती थीं। घर का सारा काम, खाना बनाना, साफ़-सफ़ाई करने के बाद रात को सोने जाने में मां को 12 या 1 भी बज जाता था।
पिता ने नौकरी छोड़ दी
मैसी के अनुसार उसके पिता एक कंपनी में नौकरी करते थे, लेकिन उन्होंने जल्द ही नौकरी छोड़ दी। विक्रांत ने वजह बताते हुए कहा कि नौकरी छोड़ने के पीछे दो कारण हैं। मेरे पिता बहुत वफादार थे। उन्होंने शुरू से अंत तक एक ही कंपनी में काम किया। वहां के बॉस से उसकी अच्छी दोस्ती थी, लेकिन अचानक बॉस को दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। इसके बाद कंपनी का चार्ज बॉस की पत्नी को मिल गया। मेरे पिता अपने बॉस और दोस्तों को जाते देख दुखी थे। कुछ दिनों घर पर आराम किया। फिर काम चले गए लेकिन वहां उन्हें पहले जैसा सम्मान नहीं मिला। उस समय मेरे भाई को एक कॉल सेंटर में नौकरी मिल गयी और मुझे भी नौकरी मिल गयी। इसलिए बाबा ने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया।
विक्रांत ने जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं तो वहीं जिंदगी के बारे में उन्होंने कहा कि, जिंदगी में कुछ भी स्थाई नहीं है। जो आज है, वह कल नहीं हो सकता। इसलिए हमें जो आज है, उसमें जीना चाहिए। अगर कल को मेरी जिंदगी में ऐसी स्थिति दोबारा भी आए तो मैं उस पर काबू पा लूंगा।
हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे