नेहरूजी के नौनिहालों के चाचा बनने का किस्सा
बाल दिवस (14 नवंबर) पर विशेष डॉ. रमेश ठाकुर ‘बाल दिवस’ और जवाहरलाल नेहरू के संबंध में सभी जानते हैं लेकिन अधिकांश लोगों को शायद यह जानकारी न हो कि नेहरूजी आखिर बच्चों के चाचा क्यों कहलाए। बाल दिवस, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्
डॉ. रमेश ठाकुर


बाल दिवस (14 नवंबर) पर विशेष

डॉ. रमेश ठाकुर

‘बाल दिवस’ और जवाहरलाल नेहरू के संबंध में सभी जानते हैं लेकिन अधिकांश लोगों को शायद यह जानकारी न हो कि नेहरूजी आखिर बच्चों के चाचा क्यों कहलाए। बाल दिवस, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस पर मनाया जाता है। उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। यह दिवस पहले संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधिकृत 20 नवंबर को पूरे विश्वभर में मनाया जाता था लेकिन साल 1964 में नेहरूजी के निधन के बाद भारतीय संसद में उनके जन्मदिन को आधिकारिक तौर पर ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव एकमत से जारी किया गया। बच्चों से उन्हें बेहद लगाव था। चलिए बताते हैं नेहरूजी को चाचा कहे जाने की कहानी।

पंडित नेहरू एक मर्तबा इलाहाबाद में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। मौसम जाडे़ का था। सभा में एक महिला अपने दुधमुंहे बच्चे के साथ भाषण सुनने के लिए पहुंची थी और नेहरू जी के भाषण देने के दौरान ही बच्चा जोर-जोर से रोने लगा। उपस्थित लोगों का ध्यान बंट गया। यहां तक कि नेहरूजी ने भी बच्चे का रोना सुनकर अपना भाषण रोक दिया। उन्होंने तुरंत अपने अंगरक्षक को बच्चा और उसकी माता को मंच पर लाने को कहा। मां अपने बच्चे के साथ जैसे ही मंच पर चढ़ी, नेहरूजी ने आगे बढ़ कर स्वयं बच्चे को अपनी गोद में ले लिया। नेहरूजी की गोद में जाते ही बच्चा चुप हो गया और उनकी जेब में लगे पेन से खेलने लगा। बच्चे के प्रति नेहरू के प्यार-स्नेह देखकर सभा में उपस्थित लोग बेहद प्रभावित हुए। यहीं से उन्हें बच्चों के बीच चाचा का मान दिया जाने लगा।

नेहरूजी शुरू से बच्चों के अधिकारों और उनकी अच्छी शिक्षा के लिए मजबूत शिक्षा प्रणाली के पक्षधर थे। वह प्रत्येक बच्चे को देश का भविष्य कहते थे। फूलपुर की चुनावी सभा में नेहरू ने अपने प्रसिद्ध भाषण में कहा था कि बच्चे बगीचे की कलियों की तरह होते हैं, उनका सावधानीपूर्वक और प्यार से पालन-पोषण करना चाहिए, क्योंकि वे देश का भविष्य और कल के नागरिक हैं।

हर साल उनके जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन देशभर के स्कूलों में गायन, निबंध, वाद-विवाद, खेलकूद जैसी विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। नेहरूजी बच्चों को राष्ट्र की संपत्ति मानते थे। अक्सर नौनिहालों को देश का सबसे कीमती संसाधन के रूप में संदर्भित करते थे। इसलिए, अपने युवा नागरिकों के जीवन की बेहतरी के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज इस दिवस के जरिए बच्चों में खुशियां, उनके अधिकारों और उनके उज्ज्वल भविष्य को संवारने के लिए जागरूकता फैलाई जाती है। बच्चों के प्रति जागरूकता को बढ़ाना और उन्हें एक सुरक्षित, खुशहाल और शिक्षा से भरपूर जीवन देने के लिए आज सभी को संकल्पित होना चाहिए।

(लेखक, बाल संरक्षण कार्यकर्ता और केंद्र की बाल कल्याण समिति निपसिड के सदस्य भी हैं।)

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव पाश