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नई दिल्ली, 12 नवंबर (हि.स.)। बिहार में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम (एनआईसीडीसी) और बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बीआईएडीए) ने गया में एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर (आईएमसी) विकसित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस परियोजना की लागत 1,339 करोड़ रुपये है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि बिहार सरकार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा, उद्योग विभाग की सचिव बंदना प्रेयशी, बिहार सरकार के उद्योग विभाग के निदेशक आलोक रंजन घोष, बिहार सरकार के उद्योग विभाग के प्रबंध निदेशक कुंदन कुमार और एनआईसीडीसी के सीईओ एवं एमडी रजत कुमार सैनी सहित प्रमुख अधिकारियों ने एसएसए और एसएचए समझौतों पर हस्ताक्षर के समय मौजूद रहे।
मंत्रालय ने बताया कि बिहार में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए एनआईसीडीसी, बिहार सरकार और बीआईएडीए ने गया में एक एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर की स्थापना के लिए राज्य समर्थन समझौते (एसएसए) और शेयरधारक समझौते (एसएचए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौता अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा (एकेआईसी) स्थानीय विनिर्माण को समर्थन देकर और वैश्विक निवेश को आकर्षित करके ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूत करेगा।
वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक सरकार के ‘विकास भी, विरासत भी’ दृष्टिकोण के अनुरूप, जैसा कि वित्त मंत्री ने अपने हालिया भाषण में उजागर किया है, यह परियोजना आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ गया की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाने के लिए तैयार है, जो अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रा और विरासत पर्यटन के लिए एक प्रसिद्ध गंतव्य है। आईएमसी आर्थिक विकास को गति देगा, रोजगार के व्यापक अवसर पैदा करेगा और बिहार को पूर्वी भारत में एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा, जिससे 'मेक इन इंडिया' की दृष्टि को और मजबूती मिलेगी।
समझौते का मकसद 'आत्मनिर्भर' भारत के लिए औद्योगिक विकास और निवेश को बढ़ावा देना है। इस समझौते के तहत गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 39 किलोमीटर दक्षिण में स्थित आईएमसी गया 1,670 एकड़ जमीन में फैला होगा, जिसमें 16,524 करोड़ रुपये की अनुमानित निवेश क्षमता और 1,339 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट लागत होगी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से लगभग 1,09,185 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय समुदाय को आर्थिक बढ़ावा मिलेगा। आईएमसी गया को कई क्षेत्रों में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए रणनीतिक रूप से विकसित किया जाएगा, जिसमें निर्माण सामग्री, कृषि-खाद्य प्रसंस्करण, चमड़े के सामान, रेडीमेड वस्त्र, फर्नीचर, हथकरघा और हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग और निर्माण और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं।
प्रमुख परियोजना लाभ और कनेक्टिविटी
आईएमसी गया का रणनीतिक स्थान उत्कृष्ट कनेक्टिविटी और प्रमुख परिवहन केंद्रों तक पहुंच प्रदान करता है क्योंकि एनएच-19 (स्वर्णिम चतुर्भुज) केवल 10 किमी दूर है, जबकि एनएच-22 से 2 किमी दूर है, गया जंक्शन (40 किमी) और EDFC (45 किमी) के तहत आने वाले नए पहाड़पुर रेलवे स्टेशन से निकटता रेल तक पहुंच को आसान बनाती है। गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 30 किमी दूर है, पटना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (135 किमी), और रांची हवाई अड्डा (150 किमी), कोलकाता में हल्दिया बंदरगाह (550 किमी) जैसे बंदरगाहों और टर्मिनलों तक पहुंच के साथ गायघाट, पटना (145 किमी) और रामनगर, वाराणसी (210 किमी) में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) टर्मिनल है।
मंत्रालय के मुताबिक आईएमसी गया की पहुंच को और मजबूत करने के लिए 3 ग्रीनफील्ड सड़क परियोजनाएं प्रस्तावित की गई हैं। स्वर्णिम चतुर्भुज और मल्टी-ट्रैक रेलवे लाइनों सहित ये मजबूत कनेक्टिविटी आईएमसी गया में उद्योगों के लिए रसद दक्षता को बढ़ाएगी, जिससे यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यवसायों के लिए एक आकर्षक केंद्र बन जाएगा।
नियोजित अवसंरचना और सुविधाएं
समझौते के तहत क्लस्टर में 29.89 किलोमीटर का आंतरिक सड़क नेटवर्क, 220/33 केवी और 33/11 केवी विद्युत सबस्टेशन, 162 एमवीए सुनिश्चित बिजली आपूर्ति और 19 एमएलडी जल आपूर्ति प्रणाली के साथ-साथ कौशल विकास केंद्र, फायर स्टेशन, प्रशासनिक कार्यालय, पार्किंग और औद्योगिक संचालन और कार्यबल की जरूरतों का समर्थन करने के लिए वाणिज्यिक स्थान जैसी व्यापक अवसंरचना शामिल होगी। इसके अलावा क्लस्टर में पर्यावरण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, स्टॉर्मवॉटर ड्रेनेज और ग्रीन लैंडस्केपिंग जैसी ‘प्लग एंड प्ले’ अवसंरचना सुविधाएं भी होंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर