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नई दिल्ली, 12 नवंबर (हि.स.)। भारत विश्व में पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार वाला देश है और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। हालांकि, वर्तमान खपत परिदृश्य आयात की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाता है, विशेष रूप से कोकिंग कोल और उच्च श्रेणी के थर्मल कोयले के लिए, जो घरेलू भंडार में पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं। इस कमी के कारण इस्पात सहित प्रमुख उद्योगों को समर्थन देने के लिए आयात की आवश्यकता होती है।
वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान कोयले के आयात में 2.2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के 108.81 मीट्रिक टन की तुलना में 111.20 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच गया। हालांकि, गैर-विनियमित क्षेत्र में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अप्रैल-अगस्त 2024 के दौरान 10.3 प्रतिशत की अच्छी-खासी गिरावट देखी गई। अप्रैल 2024 से सितंबर 2024 तक कोयला-आधारित बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4.97 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, मिश्रण उद्देश्यों के लिए आयात पिछले वर्ष की तुलना में घटकर 9.79 मिलियन टन हो गया, जो इसी अवधि के दौरान 10.70 मीट्रिक टन था, जो 8.5 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।
कोयला मंत्रालय के अनुसार यह गिरावट कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। बिजली क्षेत्र के लिए कोयले के आयात में वृद्धि का श्रेय आयातित कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों (केवल आयातित कोयले का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए) द्वारा कोयले के आयात को दिया जाता है, यानि इस अवधि के दौरान 26.14 मीट्रिक टन, जो पिछले वर्ष की इसी समय सीमा में 17.07 मीट्रिक टन से 53.1 प्रतिशत की वृद्धि पर पहुंच गया।
इसके अलावा अप्रैल-सितंबर 2024 की अवधि के दौरान कोयला उत्पादन में सराहनीय वृद्धि देखी गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में 428.21 मीट्रिक टन की तुलना में 453 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो 5.79 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इस बढ़ोतरी का रुझान कोयले के उपयोग को सुव्यवस्थित करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार के चल रहे प्रयासों को इंगित करता है।
हालांकि, मूल्य के संदर्भ में अप्रैल-अगस्त 2024-25 के दौरान कुल आयातित कोयले की कीमत 120,532.21 करोड़ रुपये है जबकि पिछले वर्ष (2023-24) इसी अवधि के दौरान कुल आयातित कोयले की कीमत 133,461.65 करोड़ रुपये थी। इसके फलस्वरूप 12,929.44 करोड़ रुपये की बचत हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में मूल्य के लिहाज़ से लगभग 9.69 प्रतिशत की बचत है।
कोयला मंत्रालय कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने और इसकी उपलब्धता को बेहतर करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलों को लागू करना जारी रखे हुए है। मंत्रालय के ये प्रयास न केवल विदेशी मुद्रा भंडार को सुरक्षित रखने पर केंद्रित हैं, बल्कि ये देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने पर भी केंद्रित हैं। घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए सक्रिय उपाय अंततः आयात पर निर्भरता को कम करेंगे और देश के ऊर्जा परिदृश्य की समग्र स्थिरता में योगदान देंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव