देवनानी ने किया बाली में स्कूल के शिक्षकों और विद्यार्थियों से संवाद
जयपुर, 12 नवंबर (हि.स.)। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का मंगलवार को बाली (इण्डोनेशिया) मे भारत के महावाणिज्य दूतावास में भारतीय समुदाय और इण्डोनेशिया के लोगों ‌द्वारा स्वागत किया गया। देवनानी ने लोगों का आभार जताते हुए कहा कि सभी
बाली (इण्डोनेशिया) में महावाणिज्य दूतावास में भारतीय समुदाय और इण्डोनेशिया के लोगों ‌द्वारा स्वागत।


जयपुर, 12 नवंबर (हि.स.)। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का मंगलवार को

बाली (इण्डोनेशिया) मे भारत के महावाणिज्य दूतावास में भारतीय समुदाय और

इण्डोनेशिया के लोगों ‌द्वारा स्वागत किया गया। देवनानी ने लोगों का

आभार जताते हुए कहा कि सभी के लिए भारत में निवेश के द्वार खुले हुए है।

भारत और राजस्थान में आप लोग निवेश करें। इसके लिए केन्द्र व राज्य सरकार

हर सम्भव मदद करेंगी। भारत और इण्डोनेशिया के लोगो ने देवनानी के

सम्मान में दोपहर भोज का आयोजन किया।

देवनानी ने गांधी

मेमोरियल इंटरनेशल स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों से नई शिक्षा नीति

और शिक्षा के विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। वि‌द्यालय के

शिक्षकों ने बताया कि वि‌द्यालय में 35 देशों के वि‌द्यार्थी अध्ययन कर रहे

है। देवनानी ने कहा कि भारत की गुरुकुल प्रणाली त्याग, अनुशासन, श्रम

और मूल्यों का प्रतीक है, जो हर राष्ट्र के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य

करती है और महात्मा बुद्ध के अनुयायियों ने इस शिक्षा को दूर-दूर तक

फैलाने में अतुलनीय योगदान दिया है। महर्षि वशिष्ठ और महर्षि विश्वामित्र

के आश्रमों में हमारे आराध्य भगवान राम ने शिक्षा प्राप्त की और एक साधारण

बालक की तरह सभी कार्य किए, जबकि द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने महर्षि

संदीपनी के आश्रम में एक गरीब परिवार के अपने मित्र सुदामा के साथ अपनी

शिक्षा पूरी की। यह भारतीय शिक्षा ही है जो 1,200 वर्षों की पराधीनता के

बावजूद बची हुई है और फली-फूली है।

देवनानी ने कहा कि वैदिक

काल से लेकर आज तक भारत की शिक्षा प्रणाली, गुरु-शिष्य परंपरा, छात्रों का

अपने शिक्षकों के प्रति आदर, मौखिक परंपरा के माध्यम से दिया जाने वाला

ज्ञान और विभिन्न शैक्षिक क्षेत्रों की विशिष्टता हमेशा से अनुकरणीय रही

है। युद्ध कला, शास्त्र, धातु विज्ञान, आयुर्वेद, शल्य चिकित्सा, खगोल

विज्ञान और ज्योतिष जैसे क्षेत्र भारतीय शिक्षा के महत्वपूर्ण बिंदु रहे

हैं। देवनानी ने कहा कि विभिन्न देशो के महान वि‌द्वान

विक्रमशिला, तक्षशिला और नालंदा जैसे हमारे प्राचीन विश्ववि‌द्यालयों में

अध्ययन करने आए और भारत के गौरव में योगदान दिया। 1947 में स्वतंत्रता के

बाद भी, हमारी शिक्षा प्रणाली लंबे समय तक औपनिवेशिक प्रथाओं का पालन करती

रही। साल 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, केंद्र

सरकार ने समग्र विकास पर शिक्षा को आधार बनाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

इस विजन की परिणति राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हुई, जो बच्चों के

सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है।

देवनानी ने कहा कि नवीन

शैक्षिक पाठ्यकम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत नवीन शिक्षा

प्रणाली को अपनाया है। जिससे बच्चे क्रमबद्ध ढंग से अध्ययन कर शिक्षा से

सारे जगत को ज्ञान की ज्योति से प्रकाशमय कर सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति

2020 के अंतर्गत उच्च शिक्षा का पैटर्न बदला गया है, जिसके अंतर्गत कॉलेजों

में मेजर, माइनर, ओपन इलेक्टिव, व्यावसायिक पाठ्यक्रम पर आधारित

गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। देवनानी ने बच्चों और

शिक्षकों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। यह वि‌द्यालय बाली में

भारतीय सिंधी समुदाय द्वारा संचालित किया जा रहा है। देवनानी से वहां

संचालित संस्कृत वि‌द्यालय के शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने भी मुलाकात

की। देवनानी को शिक्षकों ने बताया कि इण्डोनेशिया में संस्कृत के

प्रति लोंगो की रुचि है। यहां का इतिहास संस्कृत में लिखा गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित