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जम्मू, 24 अक्टूबर (हि.स.)। खाद्य तेल आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने के राष्ट्रीय मिशन के हिस्से के रूप में केवीके-अनंतनाग, स्कॉस्ट-के को तिलहन मॉडल गांव (ओएमवी) की स्थापना के तहत 200 हेक्टेयर और क्लस्टर फ्रंटलाइन डेमोस्ट्रेशन (सीएफएलडी) योजना के तहत 50 हेक्टेयर जमीन मंजूर की गई है।
बताते चलें कि इस पहल को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत वर्तमान में सालाना 13-15 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) खाद्य तेल का आयात करता है जो इसकी कुल खपत का लगभग 55-60 प्रतिशत है। भारत में लगभग 25 एमएमटी की खपत होती है। खाद्य तेल आयात बिल अक्सर सालाना 10 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाता है जो इस पीली क्रांति के तहत घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के रणनीतिक महत्व को दर्शाता है।
अनंतनाग जिला कश्मीर में रबी तिलहन की खेती के तहत सबसे बड़ा क्षेत्र होने के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र को इस मिशन में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में पहचाना गया है। केवीके ने तिलहन की खेती के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्रों का निर्धारण करने के लिए एक व्यापक आधारभूत सर्वेक्षण किया है जिसमें इष्टतम परिणाम सुनिश्चित करने के लिए पोषक तत्वों के विश्लेषण के लिए मिट्टी के नमूने एकत्र किए गए हैं। राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार तिलहन उत्पादन के लिए 5 क्लस्टर चुने गए हैं जिनमें से प्रत्येक 20 हेक्टेयर से कम नहीं है। सफलता सुनिश्चित करने के लिए केवीके ने एक सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी मॉड्यूल विकसित किया है जिसमें नवीन कृषि तकनीक और आवश्यक इनपुट शामिल हैं।
अब तक इसने 2019-20 में स्कॉस्ट-कश्मीर द्वारा जारी उन्नत किस्म शालीमार सरसों (एसएस-2) के 25 क्विंटल प्रमाणित बीज 13-15 गाँवों के 600-700 किसान परिवारों को वितरित किए हैं। यह उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक बड़े प्रौद्योगिकी मॉड्यूल/पैकेज का हिस्सा है जिसमें प्रत्येक हेक्टेयर में 10 किलोग्राम बीज मिलता है। इन ओएमवी की स्थापना भारत के अपने खाद्य तेल आयात को कम करने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिससे यह मिशन क्षेत्र और देश दोनों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा