पौराणिक ददरी मेले को मिलेगा राजकीय दर्जा
- ददरी मेले को राजकीय मेला घोषित करने के लिए डीएम ने शासन को भेजा पत्र
डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार


बलिया, 22 अक्टूबर (हि.स.)।

पौराणिक ददरी मेला को राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इसके लिए जिलाधिकारी ने शासन को पत्र भेजा है। इससे न केवल इस सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होगा। बल्कि मेले में जन सुविधाओं का भी विस्तार हो सकेगा। राजकीय दर्जा मिलने से बलिया की इस अमूर्त विरासत की ख्याति देश व प्रदेश स्तर पर बढ़ जाएगी।

ददरी मेला, बलिया में आयोजित होने वाला पौराणिक एवं धार्मिक महत्व का मेला है। इसका नामकरण महर्षि भृगु जी ने अपने प्रिय शिष्य, महर्षि दर्दर मुनि के नाम पर किया था। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान व गंगा आरती में प्रतिभाग करने वाले श्रद्धालुओं सहित महीने भर चलने वाले ददरी मेले में लगभग 50 लाख लोग आस-पास के क्षेत्र एवं देश के कोने-कोने से बलिया आते हैं। ददरी मेले में गंगा आरती का आयोजन कार्तिक पूर्णिमा की रात को पवित्र स्नान से ठीक पहले किया जाता है।

मान्यताओं के अनुसार सभी प्रकार के यज्ञ अश्वमेध, विष्णु, रुद्र, लक्ष्मी आदि के करने एवं उनमें दान देने से जो पुण्य प्राप्त होते हैं, वह सारे पुण्य दर्दर क्षेत्र के स्पर्श मात्र से प्राप्त हो जाते हैं। ददरी मेले के ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व को देखते हुए इस अमूर्त विरासत के संरक्षण की नितांत आवश्यकता है। ददरी मेला को राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त होने से न केवल इस सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होगा,बल्कि मेले में जन सुविधाओ का भी विस्तार हो सकेगा। इसके साथ ही साथ बलिया की इस अमूर्त विरासत की ख्याति देश व प्रदेश स्तर पर बढ़ जाएगी।

मुख्य राजस्व अधिकारी व प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय त्रिभुवन ने बताया कि जनपद में आयोजित होने वाले प्रसिद्ध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक ददरी मेले को राजकीय मेला घोषित करने के सम्बन्ध में जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने 19 अक्टूबर को लिखे पत्र के माध्यम से अपनी संस्तुति सहित आख्या प्रमुख सचिव, नगर विकास विभाग को भेज दी है। उसकी प्रतिलिपि प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग को भी प्रेषित किया गया है।

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भारतेन्दु मंच की है राष्ट्रीय ख्याति

ददरी मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भारतेंदु मंच पर किया जाता है। इस मंच पर देश-प्रदेश के प्रसिद्ध कलाकारों कुमार विश्वास, राहत इंदौरी, अनुराधा पौडवाल व लोक गायिका मैथिली ठाकुर आदि ने अपनी कला का प्रदर्शन किया है। ददरी मेला के भारतेन्दु मंच पर दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जो मेले का सबसे लोकप्रिय आयोजन है, इस प्रतियोगिता में विजेता को बलिया केसरी के सम्मान से नवाजा जाता है। ददरी मेला के भारतेंदु मंच पर संत समागम का आयोजन किया जाता है। संत समागम में भारत के विभिन्न भागों से संत आते है और घाट पर संत कार्तिक पूर्णिमा के पूरे महीने कल्पवास करते हैं। ददरी मेले में कव्वाली, मुशायरा, लोकगीत, खेल-कूद प्रतियोगिता, घुड़सवारी व चिकित्सा शिविर कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।

मुगल काल से लगता आ रहा है मीना बाजार

कार्तिक पूर्णिमा के दिन से मुख्य मेले का आरम्भ होता है, जिसे मीना बाजार के नाम से जाना जाता है। मीना बाजार का नाम मुगल बादशाह अकबर के द्वारा रखा गया था। मीना बाजार का संचालन भी 20 दिनों तक होता है। इसी प्रसिद्ध मीना बाजार के मेले में ओपी शर्मा व पीसी सरकार जैसे प्रसिद्ध जादूगरों के द्वारा भी अपनी कला का प्रदर्शन किया गया है। मेले के अन्तर्गत लगने वाला मीना बाजार क्षेत्र में व्यापार को द्रुतगति प्रदान करता है। ददरी मेले में हर साल लगभग 30 करोड़ रूपये का व्यापार मीना बाजार के माध्यम से होता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी