प्रयागराज में महाकुम्भ के बाद प्रसिद्ध लोकनाथ की होली की धूम
-लोकनाथ की प्रसिद्ध होली को कहते हैं कपड़ा फाड़ होली -प्रयागराज में सैकड़ों वर्ष पुरानी है लोकनाथ के होली हुडदंग की परम्परा प्रयागराज, 13 मार्च (हि.स.)। तीर्थराज प्रयाग में आस्था के महापर्व महाकुम्भ के आयोजन बाद लोकनाथ की प्रसिद्ध होली की तैयारियां ज
हथौड़ा बारात


-लोकनाथ की प्रसिद्ध होली को कहते हैं कपड़ा फाड़ होली -प्रयागराज में सैकड़ों वर्ष पुरानी है लोकनाथ के होली हुडदंग की परम्परा

प्रयागराज, 13 मार्च (हि.स.)। तीर्थराज प्रयाग में आस्था के महापर्व महाकुम्भ के आयोजन बाद लोकनाथ की प्रसिद्ध होली की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। शहर के पुराने मोहल्ले चौक के लोकनाथ चौराहे पर पिछले कई दशकों से ऐतिहासिक होली हुड़दंग मनाने की परम्परा है। हजारों की संख्या में युवा प्राकृतिक रंगों और डीजे के धुन में सराबोर होकर होली हुड़दंगं मनाते हैं। होली की पूर्व संध्या पर हथौड़ा बारात निकालने और कद्दू भंजन कर हास्य व्यंग कवि सम्मेलन कराने की भी परम्परा है।

लोकनाथ भगवान शिव को रंग, अबीर अर्पित कर करते हैं होली की शुरूआत होली मिलन संघ के अध्यक्ष निखिल पाण्डेय का कहना है कि प्रयागराज में महाकुम्भ के दिव्य-भव्य आयोजन के बाद इस साल लोकनाथ की होली भी पहले की तुलना में और भी दिव्य और भव्य होगी। परम्परा अनुसार मोहल्ले के प्रसिद्ध मंदिर लोकनाथ, भगवान शिव को रंग और भांग की गुझिया का भोग चढ़ा कर होली हुड़दंग की शुरूआत होती है। हजारों की संख्या में युवा रंग और पानी के फौव्वारों के बीच डीजे के धुन पर होली हुडदंग मनाते हैं। लोकनाथ चौराहे पर होली का महोत्सव दो दिनों तक चलता है। होली हुड़दंग में न केवल प्रयागराज बल्कि आस-पास के शहरों के युवा भी शामिल होने आते हैं।

राष्ट्रीय नेता और महाकवि होते रहे हैं लोकनाथ की होली में शामिल शहर के बुजुर्ग बताते हैं कि लोकनाथ के होली की परम्परा कई दशकों से ऐसे ही चली आ रही है। विशेष रूप से इसकी शुरुआत कब से हुई इसके बारे में कहना मुश्किल है, लेकिन आजादी के काल से क्षेत्र के विधायक रहे जनप्रिय नेता छुन्नन गुरू के प्रयासों ने लोकनाथ के होली की भव्यव्ता को और बढ़ाया था। मदन मोहन मालवीय, जवाहरलाल नेहरू, वी.पी. सिंह, जनेश्वर मिश्रा जैसे राष्ट्रीय नेताओं से लेकर निराला, पंत, बच्चन जैसे महाकवि भी लोकनाथ की होली में शामिल होते आये हैं। बुजुर्गों का कहना है कि पहले लोकनाथ की होली टेसू (पलाश), गेंदा, गुलाब, अपराजिता के फूलों के रंगों से खेली जाती थी। ढोलक और झांझ, मंजीरे की ताल पर कवि फागुआ और जोगीरा के गीत गाये जाते थे। अब नये कलेवर में युवा डीजे की धुन पर ताल से ताल मिलाते हैं।

लोकनाथ की होली को कुर्ता फाड़ या कपड़ा फाड़ होली कहा जाता है लोकनाथ की होली को कुर्ता फाड़ होली या कपड़ा फाड़ होली के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय लोंगों का कहना है कि ये कोई रस्म या परम्परा नहीं है। लेकिन होली की मस्ती, जोश और उत्साह में लोग कुर्ता या कपड़े फाड़ के एक दूसरे को रंग लगाते हैं। इसमें किसी तरह की कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जाती है। इसीलिये लोग लोकनाथ की होली को कपड़ा फाड़ या कुर्ता फाड़ होली भी कहने लगे। इसके अलावा प्रयागराज में दारागंज की दमकल की होली भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां फायर ब्रिगेड की दमकल की पुरानी गाड़ियों से रंगों की फुहार की जाती है।

होली की पूर्व संध्या पर निकली हथौड़ा बरात और हुआ कद्दू भंजन लोकनाथ की होली में हथौड़ा बरात और कद्दू भंजन कर हास्यकवि सम्मेलन के आयोजन की भी विशिष्ट परम्परा चली आ रही है। बीते वर्षों की तरह होली की पूर्व संध्या पर चौक मोहल्ले के केसर विद्यापीठ इंटर कालेज से दूल्हे की तरह सजाए गये हथौड़े की बरात पूरे मोहल्ले का भ्रमण कर स्कूल में पहुंची। जहां मुख्य अतिथि महापौर गणेश केसरवानी और किन्नर अखाड़े की महामण्डलेश्वर कौशल्यानंद गिरी ने बुराई के प्रतीक कद्दू का भंजन कर लोगों को उपहार बांटे। हथौड़ा बारात के संयोजक संजय सिंह ने बताया कि प्रयागराज में हथौड़ा बरात की परम्परा भी काफी प्राचीन है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के कहने पर विश्वकर्मा भगवान ने हथौड़ा का सृजन कर बुराईयों का नाश किया था। हथौड़ा बरात उसी परम्परा का निर्वहन करती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र