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जगदलपुर, 13 मार्च (हि.स.)। राज्य सरकार की पहल पर जोरा नाला के बीच जल विभाजन के लिए बनाए गए कंट्रोल स्ट्रक्चर में पानी बहाव छत्तीसगढ़ प्रदेश को करने हेतु ओड़िसा सरकार की सहमति के बाद जोरा नाला के स्ट्रक्चर में रेत की बोरिया डाल निर्धारित मात्रा में जल प्रवाह इंद्रावती नदी के मुख्य धारा में किया गया है। जल समस्या के समाधान हेतु मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर प्रदेश सरकार के जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप द्वारा केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल को इन्द्रावती नदी के जल संकट की समस्या से अवगत कराया गया।
जिस पर केन्द्रीय मंत्री ने राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं ओडिशा राज्य के मुख्यमंत्री मांझी को समस्या का हल करने निर्देश दिये। जिसके परिपालन में ओडिशा राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिए जिसका असर ये हुआ कि जोरा नाला में स्थित कन्ट्रोल स्ट्रक्चर को अस्थाई रूप से एक फिट ऊंचा किया गया जिससे इन्द्रावती नदी के जल प्रवाह में वृद्धि हुई है। साथ ही इन्द्रावती नदी के अप स्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम में जमा रेत को हटाने का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है, जिसे अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक हटा लिये जाने का आश्वासन दिया गया है। उक्त सम्बन्ध में आज गुरुवार को बस्तर कलेक्टर हरिस एस. के मार्गदर्शन पर अपर कलेक्टर सीपी बघेल, अति. पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग, ईई जल संसाधन वेद पांडेय द्वारा में स्थानीय कृषकों को जिला कार्यालय के प्रेरणा सभा कक्ष में अवगत कराया गया।
उल्लेखनीय है कि इन्द्रावती नदी का उद्गम ओडिशा राज्य के कालाहांडी के रामपुर धुमाल नाम के गांव से हुआ है। इन्द्रावती नदी 164 किलोमीटर उड़ीसा राज्य में बहने के उपरांत 9 किमी लम्बाई में छत्तीसगढ़ एवं उड़िसा की सीमा बनाते हुए छत्तीसगढ़ में प्रवेश करती है एवं लगभग 232 किमी छरोसगढ़ में बहने के पश्चात 129 किमी महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ की सीमा बनाते हुए गोदावरी नदी में मिलती है। इस प्रकार यह नदी कुल 534 किमी अपने उद्गम स्थल से बहने के उपरांत गोदावरी नदी में मिलती है। इन्द्रावती नदी का कुल कैचमेंट एरिया 41665 वर्ग किमी है जिसमें उड़िसा राज्य में कैचमेंट 7435 वर्ग किमी, छत्तीसगढ़ राज्य में 33735 वर्ग किमी एवं महाराष्ट्र राज्य में 495 वर्ग किमी है।
दिसम्बर 1975 को मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश एवं मुख्यमंत्री उड़ीसा के मध्य समझौता हुआ था, जो बाद में गोदावरी जल विवाद प्राधिकरण के निर्णय वर्ष 1978 का हिस्सा बना। इन्द्रावती के उड़ीसा मध्यप्रदेश (छत्तीसगढ़) सीमा पर उड़ीसा 45 टीएमसी जल उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगा। कम बारिश होने पर पानी की उपलब्धता की यह मात्रा समानुपातिक रूप से कम की जा सकेगी। मध्यप्रदेश (छत्तीसगढ़) डाउनस्ट्रीम प्रोजेक्ट के लिए अतिरिक्त 18 टीएमसी जल का उपयोग कर सकेगा, जिसमें प्रत्येक परियोजना में 1.5 टीएमसी से ज्यादा उपयोग नहीं कर सकेगा। 11 जुलाई 1979 के अनुबंध के अनुसार उड़ीसा अपर इन्द्रावती परियोजना साईट तक सम्पूर्ण पानी का उपयोग कर सकेगा।
जोरा नाला की समस्या
उड़ीसा राज्य की सीमा पर ग्राम सूतपदर में इन्द्रावती दो भागों में बंट जाती है। एक हिस्सा इन्द्रावती नदी के रूप में लगभग 5 किमी उड़ीसा में बहते हुए ग्राम भेजापदर में छत्तीसगढ़ में प्रवेश करती है जो डाउनस्ट्रीम में जगदलपुर, चित्रकोट से होते हुए गोदावरी में मिल जाती है। दूसरा हिस्सा जोरा नाला के रूप में 12 किमी बहते हुए शबरी (कोलाब) नदी में मिल जाती है। पूर्व में जोरा नाला का पानी इन्द्रावती में आ रहा था, कालांतर में कटाव के साथ-साथ जोरा नाला का बहाव बढ़ता एवं इन्द्रावती का बहाव कम होता गया। समस्या गंभीर होने पर दिसम्बर 2003 को प्रमुख अभियंता, उड़ीसा एवं प्रमुख अभियंता छत्तीसगढ़ की बैठक में निर्णय लिया गया कि इन्द्रावती जोरा नाला के मुहाने पर बराबर मात्रा में पानी के बंटवारे के लिए एक पक्का स्ट्रक्चर का निर्माण किया जाये। पक्का स्ट्रक्चर का निर्माण उडीसा के द्वारा किया जाये एवं दूसरी डिजाईन सीडब्लूसी द्वारा की जाये। पक्के स्ट्रक्चर निर्माण की प्रक्रिया के दौरान छत्तीसगढ़ द्वारा लगातार गैर मानसून समय (नवम्बर से जून) में 8.511 टीएमसी जल छत्तीसगढ़ सीमा पर उपलब्ध कराने की मांग की गई, जिसमें उड़िसा शासन ने 3.475 टीएमसी जल उपलब्ध कराने की सहमती दी।
तीसरी अंतर्राज्यीय बैठक सीडब्लूसी दिल्ली में आयोजित की गई थी। यह बैठक जगदलपुर एवं डाउन स्ट्रीम क्षेत्र की जल समस्यां को लेकर की गई थी। इस बैठक में छत्तीसगढ़ द्वारा पूर्व में वांछित गैर मानसून समय आवश्यकता की जानकारी दी गई थी। इन्द्रावती नदी एवं जोरा नाला में संरचना (स्ट्रक्चर) का निर्माण कार्य जून 2016 में पूर्ण किया गया था। पक्का स्ट्रक्चर निर्माण के उपरान्त भी जोरा-नाला मुहाने पर इन्द्रावती एवं जोरा नाला में बराबर पानी नहीं जा रहा है। जोरा नाला में ज्यादा पानी जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ को लगभग औसतन 40.71 प्रतिशत एवं उडिसा राज्य को 59.29 प्रतिशत ग्रीष्म ऋतु में जल प्रवाह हो रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे