Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
श्रीनगर, 13 मार्च (हि.स.) । सरकार ने कहा कि उरी में सौ साल पुरानी मोहरा जलविद्युत परियोजना का पुनरुद्धार अनिश्चित बना हुआ है क्योंकि जम्मू-कश्मीर सरकार इस परियोजना को व्यवहार्य बनाने के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता का इंतजार कर रही है।
विधायक डॉ. सज्जाद शफी के एक प्रश्न के उत्तर में प्रभारी मंत्री ने कहा कि प्राथमिकता की स्थिति के बावजूद, 10.50 मेगावाट की इस परियोजना को प्रधानमंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी-15) के तहत केंद्र से आवश्यक निधि नहीं मिली है।
2022 के मूल्य स्तरों के अनुसार 135.02 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली यह परियोजना लघु जलविद्युत विकास कार्यक्रम के तहत स्वीकृत 33 लघु जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है। हालांकि वित्तीय व्यवहार्यता पर चिंताओं के कारण इसका विकास रुका हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार ने समीक्षा बैठकों में बार-बार इस मुद्दे को उठाया है जिसमें 60 प्रतिशत तक केंद्रीय वित्तीय सहायता की मांग की गई है लेकिन अभी तक कोई अनुदान स्वीकृत नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के माध्यम से व्यवहार्यता अध्ययन करने के बाद इसकी व्यवहार्यता के आधार पर केंद्रीय वित्तीय सहायता के लिए मोहरा परियोजना की सिफारिश की है। प्रस्ताव वर्तमान में केंद्र के पास मूल्यांकन के अधीन है।
मंत्री ने यह भी बताया कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन निवेश को आकर्षित करने और इस क्षेत्र में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई जलविद्युत नीति पर काम कर रहा है। यह भी उम्मीद है कि केंद्र की आगामी राष्ट्रीय जलविद्युत नीति ऐसी रुकी हुई परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती है। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदायों के लिए उनके लाभों को देखते हुए सरकार बड़े पनबिजली संयंत्रों के समान गति से छोटे पनबिजली परियोजनाओं को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री ने कहा कि विकास मॉडल पर अंतिम निर्णय चाहे इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण (ईपीसी) टैरिफ-आधारित तरीकों या स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) के माध्यम से हो राज्य और केंद्र स्तर पर नीतियों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद किया जाएगा।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / राधा पंडिता