बिजली-पानी की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करे उमर सरकार: शिवसेना
जम्मू, 13 मार्च (हि.स.)। मुस्लिम बहुल प्रदेश होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में रंगो के तयोहार होली पर्व को लेकर उत्साह अपने पूरे उफान पर है और फागुन की मस्ती चारों ओर छाई हुई है। लेकिन हिन्दू बहुल क्षेत्र जम्मू शहर व आसपास के इलाकों में जलापूर्ति का गं
पतरकाेराें से बातचीत करते हुए शिव सेना नेता्


जम्मू, 13 मार्च (हि.स.)। मुस्लिम बहुल प्रदेश होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में रंगो के तयोहार होली पर्व को लेकर उत्साह अपने पूरे उफान पर है और फागुन की मस्ती चारों ओर छाई हुई है। लेकिन हिन्दू बहुल क्षेत्र जम्मू शहर व आसपास के इलाकों में जलापूर्ति का गंभीर संकट होली के पर्व में सबसे बड़ी बाधा के रूप में होली के रंगों को फीका कर रहा है। लोग यह सोचने पर विवश हैं कि बिन जल अपनों संग कैसे खेलें होली। यह कहना है शिवसेना (यूबीटी) जम्मू-कश्मीर ईकाई प्रमुख मनीश साहनी का।

पार्टी प्रदेश मध्यवर्ती कार्यालय में गुरूवार को पत्रकारों से विशेष बातचीत करते हुए प्रदेश अध्यक्ष मनीश साहनी ने कहा कि जम्मू के अधिकतर इलाकों में पानी सप्लाई का संकट गहराता जा रहा है। हिन्दू बहुल जम्मू संभाग के लोग होली खेलने को बेताब हैं मगर घरों तक जलापूर्ति नहीं होने से उनका उत्साह निराशा में बदल चुका है।

जम्मू शहर के जानीपुर, रूपनगर, बनतालाब, मुट्ठी, भलवाल, अखनूर, मथवार, बठिंडी, चौआदी, सैनिक कॉलोनी, ग्रेटर कैलाश, त्रिकुटा नगर, फव्वारा चौक समेत पुरमंडल, वीरपुर ऐसे कई इलाके हैं जहां जलापूर्ति की स्थिति बदतर बनी हुई है। स्थानीय नागरिक पानी टैंकरों के सहारे पानी की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। उमर सरकार के तमाम आश्वासनों के बावजूद घर के नल सूखे पड़े हैं।

साहनी ने कहा कि पेयजल की कमी से होली खेलने का उत्साह ठंडा पड़ चुका है। सूखी होली खेलने पर भी नहाने के लिए तो पानी चाहिए। साहनी ने होली के त्यौहार पर पानी और बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग उमर सरकार से की है।

वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एसीसी और जेकेआईएम संगठनों को राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त होने पर प्रतिबंधित किए जाने के फैसले को नाकाफी बताते हुए संगठन के सदस्यों पर कड़ी कार्रवाई के साथ किसी अन्य संगठन के गठन पर रोक लगाने की वकालत की है।

मनीश साहनी ने “भारत की एकता और अखंडता” के लिए खतरा व देश की शांति, व्यवस्था और संप्रभुता के खिलाफ गतिविधियों में शामिल एसीसी और जेकेआईएम जैसे संगठनों पर प्रतिबंध के फैसले को नाकाफी बताते हुए संगठनों से जुड़े नेताओं पर कड़ी कानूनी कार्रवाई तथा इनके द्वारा नए संगठनों के गठन पर प्रतिबंध लगाने की की मांग की है। साहनी ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की जननी कहे जाने वाले जमाते इस्लामी के प्रतिबंधित होने के बावजूद कुछ पूर्व सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर में गत वर्ष सितंबर-अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था और अब एक नया राजनीतिक दल बना लिया है। साहनी ने कहा कि राष्ट्र-विरोधी, अलगाववादी, कट्टरपंथी विचारधारा पर कड़े क़ानूनी प्रहार की जरूरत समय की मांग है। संगठन के नाम पर प्रतिबंध आंखों में धूल झोंकने के सामान है।

हिन्दुस्थान समाचार / अमरीक सिंह