प्रयागराज : होलिका दहन करने को बढ़ी भक्त प्रहलाद और होलिका के पुतलों की मांग
प्रयागराज, 13 मार्च (हि.स.)। रंगों के पर्व होली समरसता का प्रतीक है। बुराईयों को छोड़कर सनातनधर्मी एक दूसरे के गले मिलते है और गुलाल लगाकर प्रेम एवं सद्भाव को बढ़ाते हैं। महाकुम्भ के बाद अब शहर के कीडगंज मोहल्ले में होलिका गली के नाम से प्रसिद्ध एक
होलिका एवं भक्त प्रह्लाद के पुतलों का छाया चित्र


प्रयागराज, 13 मार्च (हि.स.)। रंगों के पर्व होली समरसता का प्रतीक है। बुराईयों को छोड़कर सनातनधर्मी एक दूसरे के गले मिलते है और गुलाल लगाकर प्रेम एवं सद्भाव को बढ़ाते हैं। महाकुम्भ के बाद अब शहर के कीडगंज मोहल्ले में होलिका गली के नाम से प्रसिद्ध एक प्रमुख बाजार में बीते तीन दिनों से होलिका और प्रहलाद के सुन्दर एवं आकर्षक पुतले खरीदने वालों की भीड़ लगी हुई है।

प्रयागराज के कीडगंज मोहल्ले के लगभग छह परिवार मूर्ति बनाने के कारोबार से होली एवं दीपवली में अपनी कमाई का जरिया बनाए हुए है। ये परिवार पहले दशहरे पर रावण का पुतला बनाते थे। लेकिन अब होली भी इनके लिए आमदनी का जरिया बन चुका है। इन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। तीन दिवसीय बाजार से इन परिवारों को छह माह का खर्च निकल आता है।

इस कारोबार से जुड़े मंगल सिंह प्रजापति ने बताया कि बीते कुछ वर्ष से होलिका दहन के लिए पुतले बनाकर बेचने का कारोबार कर रहा है। हालांकि अब धीरे—धीरे पुतलों की मांग बढ़ती जा रही है। लेकिन महंगाई की वजह से पुतला बनाने में लागत काफी बढ़ चुकी है। जिससे इसकी कीमत में वृद्धि करना हमारी मजबूरी बन चुकी है। एक पुतले में सजावटी कागज, पुआल, रंगाई और चित्रकारी का खर्च आता है। पुतलो को सुन्दर बनाने के लिए सुनहले कागज एवं कपड़ों को लगाते है।

ग्राहकों को लुभाने के लिए तैयार करते हैं आकर्षित पुतले

होली पर्व के नजदीक आते ही पुतलों की मांग बढ़ जाती है। जिससे ग्राहकों को पुतले खरीदने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि सदियों से चली आ रही परम्परा को निभाने के लिए सनातन के प्रेमी पुतले खरीद रहें है। बाजार में पांच सौ रुपए से लेकर तीन हजार रुपए तक के पुतले बाजार में उपलब्ध हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल