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नई दिल्ली, 09 फरवरी (हि.स.)। सरकार देश में ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए कुछ क्षेत्रों में प्रक्रियाओं को और आसान बनाने पर विचार कर रही है। इसके अलावा सरकार कई क्षेत्र में नियमों में ढील देने पर भी विचार कर रही है।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को दी जानकारी में बताया कि उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस विषय पर कई सरकारी विभागों, नियामकों, उद्योग संगठनों, कानूनी कंपनियों, पेंशन फंड्स, प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेशकों के साथ चर्चा की है।
जानकारी के मुताबिक इस मसले पर सभी हितधारकों से विचार-विमर्श पूरा कर लिया गया है। सभी से अलग-अलग मुद्दों पर सुझाव मिले हैं। फिलहाल कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है लेकिन प्रक्रियागत नियमों को सरल बनाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया कि किन क्षेत्रों में नियमों में ढील दी जा सकती है।
विचार-विर्मश में जिन मुद्दों को उठाया गया, उनमें ई-कॉमर्स खिलाड़ियों को केवल निर्यात उद्देश्यों के लिए ऑनलाइन व्यापार के इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में एफडीआई प्राप्त करने की अनुमति देना है। इसके अलावा लाभकारी स्वामित्व को परिभाषित करके प्रेस नोट 3 को आसान बनाना और एकल-ब्रांड खुदरा व्यापार के लिए नीति में कुछ बदलाव शामिल था। इस प्रेस नोट के तहत किसी भी क्षेत्र में भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों के निवेशकों के लिए सरकारी अनुमोदन अनिवार्य है।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2000-सितंबर 2024 की अवधि में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 1 ट्रिलियन यूएस डॉलर को पार कर गया है। इन प्रवाहों में अधिकतम आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दूरसंचार, व्यापार, निर्माण विकास, ऑटोमोबाइल, रसायन और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं। इसके अलावा चालू वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल-सितंबर में भारत में विदेशी निवेश साल-दर-साल 45 फीसदी बढ़कर 29.79 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर