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अजमेर, 4 फरवरी (हि.स.)। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह शरीफ में सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार मंगलवार को वसंत उत्सव धूमधाम और सूफियाना अंदाज में मनाया गया। दरगाह परिसर में आयोजित इस आयोजन ने प्रेम, भाईचारे और सूफी परंपराओं का अद्भुत प्रदर्शन किया।
शाही कव्वाल असरार हुसैन की पार्टी ने दरगाह परिसर में वसंत मना ले सुहागिन और ख्वाजा मोइनुद्दीन के दर आती है वसंत जैसे सूफियाना कलाम पेश किए। इन कलामों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कव्वाली के दौरान दरगाह का माहौल पीले फूलों की खुशबू और सूफियाना रंग से सराबोर हो गया। वसंत का जुलूस दरगाह के निजाम गेट से रवाना होकर बुलंद दरवाजा और शाहजहानी गेट से गुजरते हुए अहाता-ए-नूर पहुंचा। वहां मजार शरीफ पर फूलों का गुलदस्ता पेश किया गया। जुलूस में शामिल शाही कव्वाल हाथों में गुलदस्ते लेकर वसंत के गीत गाते हुए चल रहे थे।
आल इंडिया सूफी सज्जादानशीन कौंसिल के चेयरमैन और अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि वसंत उत्सव धार्मिक सौहार्द और एकता का प्रतीक है। इस आयोजन में हिंदू, मुस्लिम और अन्य धर्मों के अनुयायी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। यह दरगाह शरीफ की उस परंपरा का उदाहरण है, जो हर दिल और हर संस्कृति को जोड़ने का काम करती है।
ऐसा माना जाता है कि सूफी परंपरा में वसंत उत्सव की शुरुआत हजरत निजामुद्दीन औलिया के समय से हुई। अमीर खुसरो ने अपने शब्दों से सजी वसंत की पेशकश कर अपने गुरु का मनोबल बढ़ाया। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में यह परंपरा कब शुरू हुई, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन इसे कई वर्षों से निभाया जा रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष