संस्कृति नई पीढ़ी से जीवित रहती है : योगेन्द्र नारायण
-महाकुम्भ सामाजिक समरसता का संवाहक : न्यायमूर्ति
महाकुम्भ नगर, 24 फरवरी (हि.स.)। जब हम अच्छे उद्देश्य की ओर बढ़ते हैं तो छोटी-छोटी बुराइयों को भूल जाते हैं, यही हमारी संस्कृति है। संस्कृति किसी देश की पहचान होती है। संस्कृति नई पीढ़ी द्वारा जीवित रहती
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