भाषा को लेकर विवाद पैदा होना दुर्भाग्यपूर्ण भारत में कोई प्रादेशिक भाषा नहीं-सब भाषाओं का भाव राष्ट्रीय है सभी राज्यों को अपना राजकाज- प्रशासन और न्यायिक प्रक्रिया अपनी भाषा में करना चाहिए
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