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नई दिल्ली, 22 फरवरी (हि.स.)। प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल को केंद्र सरकार की ओर से वापस लेने के बाद दिल्ली में वकीलों ने हड़ताल खर कर दी है। कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल बार एसोसिएशंस ऑफ दिल्ली ने एडवोकेट अमेंडमेंट बिल के वापस लेने के केंद्र के फैसले के बाद ये फैसला लिया है।
कोआर्डिनेशन कमेटी ने अपने बयान में कहा है कि सभी बार एसोसिएशंस के सदस्यों के सहयोग से केंद्र सरकार को प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल वापस लेना पड़ा है। वकीलों के अखिल भारतीय संगठन ऑल इंडिया लायर्स यूनियन के दिल्ली के राज्य सचिव सुनील कुमार ने इसे वकीलों की एकजुटता का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित ड्राफ्ट बिल के जरिये वकीलों की आवाज को दबाने की कोशिश की गई थी।
दिल्ली में वकील प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल के विरोध में 17 फरवरी से हड़ताल पर थे। आज हड़तल के छठे दिन दिल्ली की सभी निचली अदालतों में वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया जिसकी वजह से मामले में सुनवाई नहीं हो सकी और पक्षकारों को केवल डेट ही मिली।
कोआर्डिनेशन कमेटी के मुताबिक एडवोकेट अमेंडमेंट बिल वकीलों की गरिमा और स्वतंत्रता पर हमला था। कोआर्डिनेशन कमेटी का कहना था कि इससे बार एसोसिएशंस की ताकत को कम करने की कोशिश की जा रही है।
केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को एडवोकेट अमेंडमेंट बिल का ड्राफ्ट जारी किया था। केंद्र सरकार ने इस ड्राफ्ट बिल पर सभी पक्षों के सुझाव मांगे थे। इस बिल में वकीलों को न्यायिक कार्यों के बहिष्कार या हड़ताल करने या काम से दूर रहने से रोकने का प्रावधान था। इस अमेंडमेंट बिल की धारा 35ए के तहत वकीलों को न्यायिक कार्यों के बहिष्कार करने के अधिकार को रोकने का प्रावधान था। इसके अलावा अमेंडमेंट बिल में ये भी प्रावधान था कि मुवक्किलों की ओर से दिए गए दस्तावेज अगर फर्जी पाए गए तो उसकी जिम्मेदारी वकील की होगी।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / वीरेन्द्र सिंह