पत्नी के समलैंगिक होने के आधार पर परिवार न्यायालय हल्द्वानी से मिला तलाक
नैनीताल, 22 फ़रवरी (हि.स.)। लगभग सात वर्षों तक चली कानूनी लड़ाई के उपरांत पति को अपनी पत्नी से इस आधार पर तलाक मिला है कि पत्नी किसी अन्य महिला के साथ समलैंगिक रिश्ते में थी और इस कारण वर्ष 2016 में विवाह होने के पश्चात से ही पति-पत्नी के मध्य वैवाह
Court order


नैनीताल, 22 फ़रवरी (हि.स.)। लगभग सात वर्षों तक चली कानूनी लड़ाई के उपरांत पति को अपनी पत्नी से इस आधार पर तलाक मिला है कि पत्नी किसी अन्य महिला के साथ समलैंगिक रिश्ते में थी और इस कारण वर्ष 2016 में विवाह होने के पश्चात से ही पति-पत्नी के मध्य वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं हो सके। यह मामला अपने आप में देश का एक ऐतिहासिक व पहला निर्णय बताया जा रहा है, जिसमें समलैंगिक रिश्ते के आधार पर मानसिक क्रूरता को तलाक का कारण माना गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में दिल्ली निवासी एक युवक का विवाह उत्तराखंड निवासी एक महिला के साथ हुआ था। विवाह के पश्चात से ही दोनों के मध्य वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं हो सके। इसका प्रमुख कारण पत्नी का किसी अन्य महिला के साथ समलैंगिक रिश्ते में होना था। इसके अतिरिक्त पति ने पत्नी पर नशे की लत का भी आरोप लगाया। इस कारण जुलाई 2018 में पति ने पत्नी के विरुद्ध परिवार न्यायालय साकेत दिल्ली में विवाह विच्छेद याचिका दाखिल की किन्तु पत्नी के उत्तराखंड निवासी होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को परिवार न्यायालय हल्द्वानी में स्थानांतरित कर दिया।

झूठे आरोपों के चलते पति को जाना पड़ा जेल

तलाक की अर्जी के बचाव में पत्नी ने 15 सितंबर 2019 को पति व उसके परिवार पर दहेज उत्पीड़न, अप्राकृतिक यौन शोषण सहित कई आरोप लगाते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 377, 498(A), 354 व 3/4 दहेज अधिनियम के तहत अभियोग दर्ज कराया, जिससे पति को जेल भी जाना पड़ा। जबकि पत्नी फरवरी 2018 में ही ससुराल छोड़कर अपने मायके लौट गई थी।

न्यायालय ने धारा 377 हटाई, पति के साक्ष्य हुए निर्णायक

विचारण के दौरान न्यायालय ने पति पर लगाए गए धारा 377 यानी अप्राकृतिक यौन शोषण के आरोपों को असत्य मानते हुए हटा दिया। पति ने न्यायालय में तीन मोबाइल फोन व एक पेन ड्राइव भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत प्रस्तुत किए, जिनमें आपत्तिजनक फोटो, व्हाट्सएप चेट, ऑडियो रिकॉर्डिंग आदि मौजूद थे। इन प्रमाणों के आधार पर पत्नी के समलैंगिक रिश्ते की पुष्टि हुई।

मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक स्वीकृत

न्यायालय ने संपूर्ण विचारण के उपरांत पाया कि पत्नी की महिला मित्र के साथ समलैंगिक संबंधों के कारण पति को असहनीय मानसिक क्रूरता सहन करनी पड़ी। इसके अतिरिक्त, पत्नी द्वारा प्रस्तुत किए गए समस्त साक्ष्य व आरोप झूठे पाए गए। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने पति को मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक प्रदान किया।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी