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चेन्नई, 22 फ़रवरी (हि.स.)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के खिलाफ विरोध की पुष्टि की, जिसमें कहा गया है कि इसका राज्य की शिक्षा प्रणाली और सामाजिक न्याय ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सीएम ने कहा कि हम नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) को लागू नहीं करेंगे, भले ही केंद्र तमिलनाडु को 10,000 करोड़ रुपये की राशि प्रदान करे। यह नीति प्रतिगामी है और तमिलनाडु को 2,000 साल पीछे धकेल देगी।
मुख्यमंत्री का यह बयान केंद्र की उस शर्त के जवाब में है जिसमें कहा गया है कि तमिलनाडु को 2,150 करोड़ रुपये की शिक्षा निधि प्राप्त करने के लिए एनईपी को लागू करना होगा। स्टालिन ने जोर देकर कहा कि राज्य को निधि प्राप्त करने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन वह अपने सिद्धांतों पर समझौता नहीं करेगा।
तमिलनाडु सरकार ने लगातार एनईपी का विरोध किया है जिसमें राज्य की शिक्षा प्रणाली और सामाजिक न्याय ढांचे पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताओं का हवाला दिया गया है। एनईपी के प्रमुख प्रावधानों में से एक है तीन-भाषा सूत्र, जिसमें कहा गया है कि छात्रों को दो भारतीय भाषाओं और एक विदेशी भाषा का अध्ययन करना होगा। तमिलनाडु सरकार ने इस प्रावधान का विरोध किया है जिसमें कहा जा रहा है कि यह हिंदी को थोपने का प्रयास है।
इसके अलावा, एनईपी में एक सामान्य प्रवेश परीक्षा का प्रस्ताव है जो कला और विज्ञान कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाएगी। तमिलनाडु सरकार ने इस प्रावधान का भी विरोध किया है और स्टालिन सरकार कह रही है कि यह छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच को सीमित करेगा।
तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री केपी अनबालगन ने कहा, हम एनईपी के प्रावधानों का विरोध करते हैं क्योंकि वे हमारे राज्य की शिक्षा प्रणाली और सामाजिक न्याय ढांचे के लिए हानिकारक हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ आर बी चौधरी