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कोलकाता, 22 फरवरी (हि.स.)। कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जूनियर महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या को छह महीने से अधिक हो चुके हैं, लेकिन उसके माता-पिता अभी तक उसका मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं प्राप्त कर पाए हैं।
पीड़िता का शव पिछले साल 9 अगस्त को अस्पताल परिसर में स्थित सेमिनार हॉल से बरामद किया गया था।
माता-पिता का आरोप है कि आर.जी. कर अस्पताल और कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के अधिकारी इस मामले में एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं, जिससे उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है।
उनका कहना है कि केएमसी अधिकारी दावा कर रहे हैं कि चूंकि मृत्यु स्थान आर.जी. कर अस्पताल है, इसलिए अस्पताल प्रशासन को प्रमाण पत्र जारी करना चाहिए। वहीं, आर.जी. कर प्रशासन का कहना है कि यदि कोई मरीज अस्पताल परिसर में मरता है या मृत अवस्था में लाया जाता है, तो मृत्यु प्रमाण पत्र केएमसी को जारी करना होगा।
पीड़िता के माता-पिता ने यह भी कहा कि हालांकि उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति नहीं मिली है, लेकिन यह अदालत के दस्तावेजों में दर्ज किया गया है, जैसा कि आर.जी. कर से जुड़े एक चिकित्सा अधिकारी के बयान में उल्लेख किया गया है।
अब उनका सवाल है कि यदि मृत्यु प्रमाण पत्र अदालत के दस्तावेजों में मौजूद है, तो उन्हें उसकी प्रति क्यों नहीं दी गई?
कोलकाता की एक विशेष अदालत ने बलात्कार और हत्या के मामले में नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक संजय रॉय को दोषी ठहराकर सजा सुनाई थी। अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को इस मामले की जांच की ताजा प्रगति रिपोर्ट 24 फरवरी को दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि विशेष अदालत ने मुख्य अपराध में दोषी को सजा सुना दी है, इसलिए सीबीआई की ताजा रिपोर्ट सबूतों से छेड़छाड़ के पहलू से जुड़ी हो सकती है।
माना जा रहा है कि पीड़िता के परिवार के वकील द्वारा अदालत में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद विशेष अदालत ने सीबीआई को ताजा रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। शिकायत में कहा गया था कि सीबीआई ने मामले की जांच की प्रगति को अदालत के समक्ष समय-समय पर अपडेट नहीं किया है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर