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-पेरियार विवि के शोधार्थी ने अंडे के छिलके से कैल्शियम प्राप्त करने की तकनीक विकसित की, दो भारतीय पेटेंट
चेन्नई, 21 फ़रवरी (हि.स.)। अंडे को पौष्टिक भोजन माना जाता है लेकिन उसके छिलके से प्राप्त कैल्सियम का अब टूटी हड्डियों को जोड़ने में इस्तेमाल किया जाएगा। तमिलनाडु के सेलम शहर स्थित पेरियार विश्वविद्यालय के एक अनुसंधान दल ने अण्डे के छिलकों से हड्डियों और दांतों में पाए जाने वाले कैल्शियम फॉस्फेट खनिज (हाइड्रोक्सीएपेटाइट) के व्यावसायिक उत्पादन के लिए दो प्रौद्योगिकियों का पेटेंट कराया है।
इस शोध कार्य टीम की अगुवाई कर रही डॉ. ई. के. गिरिजा ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि उनकी अगुवाई में इस शोध दल में डॉ. विवेकानंद एस. कट्टीमनी और डॉ. वी विश्वबास्करन भी शामिल थे। उनके शोध का विषय था- स्प्रे सहायता के जरिए माइक्रोवेव रिएक्टर द्वारा अंडे के छिलके से हाइड्रॉक्सीएपेटाइट के नैनोकणों का संश्लेषण।
उन्होंने बताया, यह पदार्थ एक हाइड्रॉक्सीएपेटाइट है जो हड्डियों के ग्राफ्टिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कैल्शियम फॉस्फेट है। जिसे हम कैल्शियम के राशायनिक स्रोत के बजाय प्राकृतिक स्रोत के रूप में अंडे के छिलके का उपयोग किए हैं और संश्लेषण के लिए माइक्रोवेव रिएक्शन का उपयोग किया है।
उन्होंने बताया कि इस अनुसंधान का दो पेटेंट कराया जा चुका है जिसकी पेटेंट संख्या: 441765 और 548874 है। उन्होंने कहा कि इस टेक्नोलॉजी को विकसित करने में उनकी दूसरी टीम में डी. मुथु; ई. के. गिरिजा तथा विवेकानंद एस. कट्टिमनी शामिल है।
डॉ. ई. के. गिरिजा ने कहा कि अंडे के छिलके से मिलने वाले कैल्शियम फास्फेट नामक पदार्थ का कमर्शियल उत्पादन किया जा सकती है और हड्डियों को जोड़ने के कार्य में बखूबी के साथ प्रयोग किया जा सकता है। इससे हड्डी जोड़ने की लागत में कमी आएगी और अंडे के छिलकों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग अंडे के छिलकों को अस्थि प्रत्यारोपण दंत एवं आर्थोपेडिक प्रत्यारोपण के लिए कोटिंग्स, तथा अस्थि ऊतक इंजीनियरिंग के प्रयोगों के लिए प्रयुक्त ढांचे में किया जा सकता है। यह तकनीक चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम है और टूटी हड्डियों के उपचार में प्राकृतिक कैल्शियम स्रोत के रूप में एक नया कदम होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ आर बी चौधरी