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नए एफ़एमसी साइलो से हर साल 25 मिलियन टन कोयला भेजना होगा संभव
कोरबा, 22 फरवरी (हि.स.)। एसईसीएल कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में, फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाओं के माध्यम से सुरक्षित एवं ईको-फ्रेंडली कोयला निकासी को बढ़ाने के प्रयासों में तेजी ला रही है।
इसी कड़ी में एसईसीएल की दीपका मेगाप्रोजेक्ट ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए कल शाम अपने नवनिर्मित रैपिड लोडिंग सिस्टम और साइलो नंबर 3 और 4 से पहला कोयला रेक लोड करके सफलतापूर्वक परिचालन शुरू कर दिया है। नए चालू किए गए दीपका सीएचपी-साइलो एफएमसी प्रोजेक्ट की वार्षिक कोयला निकासी क्षमता 25 मिलियन टन है, जिससे मेगाप्रोजेक्ट की डिस्पैच क्षमता मजबूत हुई है।
नए साइलो के चालू होने से पहले, दीपका 15 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता वाले मेरी-गो-राउंड डिस्पैच सिस्टम पर निर्भर था। साइलो 3 और 4 के चालू होने के साथ, दीपका की कुल कोयला डिस्पैच क्षमता अब 40 मिलियन टन प्रति वर्ष हो गई है। कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में, एसईसीएल ने पीएम गतिशक्ति योजना के तहत एफ़एमसी इन्फ्रा के विकास को प्राथमिकता दी है। एसईसीएल ने 233 एमटीपीए की कुल क्षमता की 17 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफ़एमसी) परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इनमें से, 151 एमटीपीए की कुल क्षमता वाली नौ परियोजनाएं पहले ही चालू हो चुकी हैं, जो कोयला परिवहन को आधुनिक बनाने के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं। शेष 8 एफएमसी परियोजनाएं 82 एमटीपीए क्षमता की हैं और इन्हें अगले 2-3 वर्षों में चालू करने का लक्ष्य है।
एफएमसी को एक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयला परिवहन मोड के रूप में जाना जाता है। दीपका में एफएमसी बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन से कई लाभ होंगे जैसे
मैकेनाइज़ तरीके से सटीक लोडिंग होने से रेक में कोयले की अंडरलोडिंग और ओवरलोडिंग में कमी, लोडिंग समय में कमी आने से ज़्यादा रेक लोड कर पाना एवं बेहतर रेक उपलब्धता, कोयले की बेहतर गुणवत्ता, सड़क परिवहन पर निर्भरता कम होने से डीजल खर्च में बचत एवं स्वच्छ वातावरण।
नए सिलो के चालू होने से एसईसीएल, भारतीय रेलवे और कोयला उपभोक्ताओं को समान रूप से लाभ होगा। यह लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने, कोयला परिवहन को अनुकूलित करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद करेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / हरीश तिवारी
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हिन्दुस्थान समाचार / हरीश तिवारी