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जयपुर/उदयपुर, 22 फ़रवरी (हि.स.)। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि हमारे देश में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं सन्यास आश्रम की परंपरा है वृद्ध आश्रम की नहीं। वृद्धाश्रम पश्चिम की देन है जहां पर वरिष्ठ नागरिकों को बोझ समझा जाता है।
राज्यपाल शनिवार को उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक महासंघ के 22 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल बागड़े ने वरिष्ठ नागरिकों का आह्वान किया कि वे अपने शरीर एवं स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें क्योंकि स्वस्थ शरीर ही सबसे बड़ा धन है। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों को अपने अनुभव से राष्ट्र समृद्धि के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत ने ही विश्व को जीरो एवं दशमलव दिया जिस पर आधुनिक तकनीक टिकी हुई है। इसलिए शिक्षा पद्धति में परिवर्तन की आवश्यकता देखते हुए केंद्र सरकार ने नई शिक्षा पद्धति लागू की जो आने वाले समय में पुरातन भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने का कार्य करेगी। राज्यपाल ने महासंघ की स्मारिका अनुभूति का विमोचन किया और वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित भी किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश