कोटवा सीओ और अंचलकर्मियों पर लोगों ने लगाया रिश्वतखोरी का आरोप
पूर्वी चंपारण,22 फरवरी(हि.स.)। जिला के कोटवा अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार इन दिनो काफी चर्चा में है।अंचल में पदस्थापित सीओ से लेकर अंचलकर्मी तक पर लोग रिश्वतखोरी का आरोप लगा रहे है।स्थानीय लोगों का आरोप है,कि दाखिल-खारिज परिमार्जन या एलपीसी
प्रतीकात्मक तस्वीर


पूर्वी चंपारण,22 फरवरी(हि.स.)। जिला के कोटवा अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार इन दिनो काफी चर्चा में है।अंचल में पदस्थापित सीओ से लेकर अंचलकर्मी तक पर लोग रिश्वतखोरी का आरोप लगा रहे है।स्थानीय लोगों का आरोप है,कि दाखिल-खारिज परिमार्जन या एलपीसी बनवाने से लेकर अन्य कार्यों के लिए अंचल कार्यालय में रिश्वत की राशि तय है।लिहाजा लोग कार्यो में लेटलतीफी व अनियमितता से परेशान है।

स्थानीय लाेगाें का आरोप है कि किसी भी कार्य के लिए अंचल कर्मी सीओ मोनिका आनंद के लिए खर्चा पानी देने की बात कर रहे है।लोगों ने आरोप लगाते हुए बताया कि दाखिल-खारिज के लिए दिये गये आवेदन के बाद रिश्वत की मांग की गई,नही देने पर कर्मचारी द्धारा यह रिपोर्ट कि ज़मीन रैयती है और किसी प्रकार की रोक सूची में नहीं आती, जिसके बाद भी सीओ मोनिका आनंद ने खाता और खेसरा बदलकर इसे न्यायालय में विवादित दिखाते हुए आवेदन रिजेक्ट कर दिया,जब अंचल कार्यालय में इस बारे में सवाल किया गया तो सीओ ने अपनी गलती स्वीकारते हुए सुधार करने की बात कही।

सीओ मोनिका आनंद ने बताया कि गलती से रिजेक्ट हुए मामलों को ठीक किया जा रहा है।बड़ा सवाल तो यह है,कि सीओ के अनुसार जब रिश्वतखोरी का आरोप निराधार है,तो आखिर उन्होने अपनी गलती कैसे स्वीकार कर ली।कोटवा अंचल क्षेत्र के एक नागरिक की माने तो कोटवा अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज कराने के लिए 10 हजार से 15 हजार और परिमार्जन के लिए 30 हजार से 35 हजार व एलपीसी के लिए 10 से 15 हजार तक की वसूली की जा रही है।हालांकि इन आरोपों में कितना दम है,यह तो जांच के बाद ही साफ होगा।फिलहाल इतना बता दे कि अंचल कार्यालय के रवैये से लोगो में खासा नाराजगी व्याप्त है।

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हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार