सूरजकुंड में अफगानिस्तान से आए कारीगर बाेले...इंडिया इज द बेस्ट
फरीदाबाद, 22 फरवरी (हि.स.)। भारत की एकता और शांति को आसपास के पड़ोसी देश भी कितना शिद्दत से महसूस करते हैं, इसका एहसास होगा आपको सूरजकुंड मेले में आए अफगान कारीगरों का अनुभव जानकर। इस मेले में बिताए गए अपने दिनों को ये अफगानी ताजिंदगी याद रखेंगे, ऐसा
अफगानिस्तान की स्टॉल पर कालीन के डिजाइन दिखाते हुए कारीगर।


फरीदाबाद, 22 फरवरी (हि.स.)। भारत की एकता और शांति को आसपास के पड़ोसी देश भी कितना शिद्दत से महसूस करते हैं, इसका एहसास होगा आपको सूरजकुंड मेले में आए अफगान कारीगरों का अनुभव जानकर। इस मेले में बिताए गए अपने दिनों को ये अफगानी ताजिंदगी याद रखेंगे, ऐसा उन्होंने कहा और माना कि भारत से खूबसूरत देश इस धरती पर और कहीं नहीं है, इंडिया इज द बेस्ट। सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में एफसी-24 नंबर स्टाल पर अफगानिस्तान से कारपेट व कालीन बेचने आए युवा व्यवसायी आसिफ याकूबी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि एक स्थाई सरकार किस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपने देश के व्यवसाय को प्रोत्साहन दे रही है, यह पड़ोसी देशों को भारत से सीखना चाहिए। यहां विविध संस्कृति और अनेक धर्म-संप्रदाय होने के बावजूद लोग मिलकर अपने परिवार के साथ शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं। महिलाओं को जीवन में आगे बढऩे की यहां पूरी आजादी मिली हुई है। अफगानिस्तान के इस युवा ने कहा कि उसे भारत से अच्छा और कोई देश नहीं लगता, इंडिया इज द बेस्ट। जुल्करनी के नाम से अपनी फर्म चला रहे आसिफ याकूबी ने बताया कि कालीन बनाना अफगानिस्तान में एक प्रमुख व्यवसाय बन चुका है। पुरुष, महिलाएं और बच्चे एक साथ अपने घरों में भेड़ की ऊन से कालीन बुनते हैं। जिनकी बिक्री भारत के अलावा इराक, कतर, ईरान, तुर्की, चीन आदि देशों में होती है। आसिफ के साथ यहां अब्दुल अजीज, अब्दुल हकीम, वहीद अहमदी भी आए हुए हैं। वहीद ने साथ में ज्वेलरी की स्टॉल लगा रखी है। उन्होंने बताया कि उनकी स्टॉल पर दस हजार रुपए से लेकर दो लाख रुपए तक का कालीन उपलब्ध है। उसके दादा मोहम्मद हसन ने इस काम को शुरू किया था, जिसे वे चलाते आ रहे हैं। उनकी स्टॉल पर एक अफगानी महिला की तस्वीर की कीमत दो लाख रुपए है। आसिफ ने बताया कि इस तस्वीर को बनाने में एक साल तक का वक्त लग जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार / -मनोज तोमर