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प्रयागराज, 22 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ स्थित ऋण वसूली ट्रिब्यूनल (डीआरटी) में लम्बे समय से पीठासीन अधिकारी के रिक्त पदों पर नियुक्ति में ढिलाई को गम्भीरता से लिया है और इस संदर्भ में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने अपर सालिसिटर जनरल को अगली सुनवाई पर केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए उपस्थित रहने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता एवं न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मेसर्स श्याम फैशन होम व अन्य की याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता का कहना है कि सरफेसी एक्ट की धारा 13(2) को अवैध घोषित नोटिस के आधार पर बैंक द्वारा शुरू की गई अवैध वसूली कार्यवाही को चुनौती दी गई है। डीआरटी में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने के कारण याचियों के पास कोई प्रभावी उपाय नहीं बचा है।दूसरी ओर बैंक सम्पत्ति पर बेदखली कर कब्जा करना चाहता है। बैंक के अधिवक्ता ने कहा कि ऋणी को नोटिस तामील कराया गया है, लेकिन अर्जी के साथ नहीं लगी थी। संशोधन अर्जी दाखिल है लेकिन एडीएम वित्त एवं राजस्व ने इस पर ध्यान नहीं दिया। साथ ही अन्य जानकारी के लिए समय मांगा और कहा कि इस दौरान बैंक एक अक्टूबर 2024 के नोटिस के तहत कार्रवाई नहीं करेगा। कोर्ट ने भारत सरकार को पक्षकार बनाते हुए अधिवक्ता को रिक्त पद पर जानकारी लेने का निर्देश दिया। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि बैंक की कार्यवाही क़ानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन करती है। याची ने बताया कि न्यायालय के हस्तक्षेप का पहले ही सकारात्मक परिणाम सामने आया है। प्रवास कुमार सिंह को लखनऊ स्थित ऋण वसूली ट्रिब्यूनल का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे