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जगदलपुर, 22 फ़रवरी (हि.स.)। बस्तर जिला अधिवक्ता संघ ने अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए बनाये गये प्रोटेक्शन एक्ट में किए गये संशोधनों के विराेध में 25 फरवरी को एक दिन के लिए सभी न्यायालयीन कार्यों से स्वयं को अलग रखते हुए प्रर्दशन का फैसला लिया है। बार काउंसिल के सचिव अधिवक्ता लिखेश्वर जोशी ने बताया न्यायालयीन कार्यों से स्वयं को अलग रखने का फैसला बार कौंसिल ने अपनी एक बैठक में लिया है। इस बैठक में बताया गया कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए देश भर में लागू प्रोटेक्शन एक्ट में हाल ही में किए गए संशोधन से ज्यादातर वकील सहमत नहीं हैं और वे चाहते हैं कि संशोधनों को लागू करने के पहले वकीलों को एक बार फिर सुना जाए।
अधिवक्ता संघ अध्यक्ष अरूण दास ने बताया प्रस्तावित संशोधन से वकीलों का हित नहीं होने वाला है। बस्तर बार काउंसिल में इस समय 450 से अधिक पंजीकृत अधिवक्ता हैं, इनमें 120 के आस-पास महिला अधिवक्ता हैं। उन्हाेंने कहा कि बार काउंसिल के अनुसार, प्रस्तावित संशोधन से बार काउंसिल की स्वायत्तता कमजोर होगी। क्योंकि संशोधन के बाद केंद्र सरकार एडवोकेट्स एक्ट में धारा 49 (बी) डाल कर बार काउंसिल को अनिवार्य रूप से निर्देश जारी कर सकेगी। इसके अलावा, भविष्य में काउंसिल के सदस्य किसी समिति के प्रमुख नहीं रहेंगे। प्रस्तावित संशोधन के बाद उनकी जगह एक जज समिति का नेतृत्व करेंगे। यह बार काउंसिल की स्वायत्तता पर सीधा हमला है। वरिष्ठ अधिवक्ता ओमप्रकाश यादव की माने तो इन संशोधनों का उद्देश्य कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ जोड़ना है। यह सुधार कानूनी शिक्षा में सुधार, वकीलों को तेजी से बदलती दुनिया की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार करने और पेशेवर मानकों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे