सीएम योगी के सुव्यवस्थित प्रबंधन का सुफल है प्रयागराज महाकुंभ
*एमपीपीजी कॉलेज में महाकुंभ पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन तकनीकी सत्र में पढ़े गए 18 शोधपत्र*
*एमपीपीजी कॉलेज में महाकुंभ पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन तकनीकी सत्र में पढ़े गए 18 शोधपत्र*


*एमपीपीजी कॉलेज में महाकुंभ पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन तकनीकी सत्र में पढ़े गए 18 शोधपत्र*


*एमपीपीजी कॉलेज में महाकुंभ पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन तकनीकी सत्र में पढ़े गए 18 शोधपत्र*


गोरखपुर, 22 फ़रवरी (हि.स.)। महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़ के कला संकाय के तत्वावधान में ‘महाकुंभ 2025 : परम्परा, अनुष्ठान और महत्ता’ विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन उद्घाटन सत्र के बाद आयोजित तकनीकी सत्र में वक्ताओं ने प्रयागराज महाकुंभ 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुव्यवस्थित प्रबंधन का सुफल बताया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में पहले दिन यूएसए, नेपाल, इजरायल और भूटान से कुल पांच वक्ता ऑनलाइन जुड़े। कुल 70 प्रतिभागियों वाली इस संगोष्ठी में पहले दिन महाकुंभ के विविध आयामों पर 18 शोधपत्र पढ़े गए।

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में साहित्यकार एवं रेलवे के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी रणविजय सिंह ने कहा कि महाकुंभ अमृतत्व की अवधारणा का प्रत्यक्ष स्वरूप है। मृत्यु ,अमरतत्व और मोक्ष पर दुनिया की तमाम सभ्यताओं में सदैव संवाद होता रहा है। मनुष्य सदा अमर होने का आकांक्षी रहा है। सनातन धर्म में अमरतत्व और मोक्ष के लिए पाप मुक्ति का आधार है महाकुंभ। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रयागराज महाकुंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल प्रबंधन के मंथन से निकली सुव्यवस्था का प्रतीक बना है। योगी जी का प्रबंधन अकल्पनीय है।

प्रो. शिवशरण दास ने कहा कि महाकुंभ स्वतंत्र भारत के इतिहास का कालजयी अध्याय है। यह विज्ञान और आस्था का भी संगम है। महाकुंभ आस्था का आकर्षण है। वहां का अहसास अद्भुत है। प्रयागराज महाकुंभ सुव्यवस्था नियोजन एवं क्राउड मैनेजमेंट की मिशाल है। महाकुंभ में प्रवास करने वाले अश्वनी कुमार ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रयागराज महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता को शब्दों में वर्णित करना कठिन है। महाकुंभ में जाति, वर्ण और वर्ग के विभेद संगम की पावन जलधारा में विलुप्त हो गए हैं। यह अस्तित्व के सनातन प्रवाह का महोत्सव है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ से हमें आत्मावलोकन का अवसर मिला है कि हम सब एक हैं। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद संकाय के आचार्य प्रो. के. रामचंद्र रेड्डी ने की।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय