पर्वतीय स्वास्थ्य सेवाओं पर सदन में हंगामा, विपक्ष ने सरकार को घेरा
देहरादून, 21 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड विधानसभा में शुक्रवार को पर्वतीय जनपदों की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। कांग्रेस विधायकों ने चिकित्सकों की कमी और स्वास्थ्य अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाए। कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने नियम-58
विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूडी भूषण सत्र का संचालन करती।


देहरादून, 21 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड विधानसभा में शुक्रवार को पर्वतीय जनपदों की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। कांग्रेस विधायकों ने चिकित्सकों की कमी और स्वास्थ्य अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाए।

कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने नियम-58 के तहत चर्चा में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली का मुद्दा उठाया। विधायक मदन सिंह बिष्ट ने कहा कि द्वाराहाट सीएचसी में पद स्वीकृत होने के बावजूद चिकित्सकों की तैनाती नहीं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल अस्पतालों की इमारतें बना रही है, लेकिन मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

बदरीनाथ विधायक लखपत सिंह बुटोला ने कहा कि जिला अस्पताल गोपेश्वर में लोग दूर-दूर से उपचार के लिए लोग आते हैं। जिला ​चिकित्सालय में चिकित्सक नहीं होने से मरीज को अन्य स्थान पर रेफर किया जाता है। ऐसे में मरीजों का उपचार का समय रहते कैसे संभव है। श्रीनगर का मेडिकल कॉलेज केवल रेफर सेंटर बना हुआ है। देहरादून में हर आधा किलोमीटर पर अस्पताल है लेकिन पहाड़ में मानक का हवाला दिया जाता है। पलायन का सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य व्यवस्था बन रहा है। लोग गांव को इसलिए छोड़ रहे हैं। पहाड़ के अस्पतालों में चिकित्सकों की उपलब्धता की मांग की।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विपक्ष के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि हमने कोरोना महामारी के दौरान सबको नि:शुल्क वैक्सीन दी। चिकित्सकों की कमी को पूरा किया जाएगा। बदरीनाथ में 50 बेड का अस्पताल तैयार किया हुआ है। चारधाम के लिहाज से भी यह अहम है। राज्य में 2027 तक 400 में से 90 फीसद तक छात्र पीजी करके आ जाएंगे। मंत्री ने बताया कि देहरादून मेडिकल कॉलेज में 150, हल्द्वानी में 150, श्रीनगर में 150,अल्मोड़ा और हरिद्वार में 100-100 छात्र एमबीबीएस कर रहे हैं। इनमें से करीब 40 से 50 प्रतिशत बच्चों को बांड से पढ़ाई करते हैं, जो पढ़ाई के बाद पहाड़ में सेवा देंगें।

मंत्री ने बताया कि राज्य में एक साल में 26,77,811 लोगों की नि:शुल्क जांच की है। 94,52,065 सैम्पल की जांच की गई। राज्य में 1,51,007 संस्थागत प्रसव राज्य में कराए। राज्य में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए आना, जाना, ऑपरेशन, चश्मा फ्री है। राज्य में टीबी का इलाज फ्री है। मरीज को 1,000 रुपये पौष्टिक आहार के लिए दे रहे हैं।

मंत्री ने बताया कि टीबी उन्मूलन में 5,000 से ज्यादा गांव टीबी मुक्त हो गए। 2025-26 तक राज्य को टीबी मुक्त करेंगे। घर-घर टीबी की जांच के लिए गाड़ियां भी रवाना की हैं। एनीमिया का उपचार नि:शुल्क है। ईजा बोई योजना के तहत महिलाओं को प्रसव के बाद पौष्टिक आहार के लिए दो रुपये दिए जाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार