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चंडीगढ़, 21 फरवरी (हि.स.)। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण के समक्ष हरियाणा के हितों को उठाते हुए कहा कि 30 जनवरी 1987 को रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण की रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय जल्द से जल्द लिया जाए, ताकि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी हमें शीघ्र मिल सके।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण के दौरे के बाद हुई बैठक में यह मुद्दा उठाया। सैनी ने रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विनीत सरन, सदस्य न्यायमूर्ति पी. नवीन राव और सुमन श्याम का हरियाणा में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि 30 जनवरी 1987 को रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण ने अपनी रिपोर्ट दी थी। उस दिन से आज तक हरियाणा का हर बच्चा, नवयुवक और बुजुर्ग इस विषय में अंतिम निर्णय आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी के लिए जल संरक्षण न केवल भारत की चिंता है, बल्कि वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। इसके लिए जल संरक्षण की योजनाएं बनानी होंगी। हरियाणा सरकार ने भी नदियों को जोड़ने के लिए रूपरेखा बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा के लिए सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा हरियाणा के हक में फैसला भी दिया गया है, लेकिन फिर भी अभी तक पंजाब की ओर से हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि हम लगातार कई मंचों से कह चुके हैं कि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिलना चाहिए, लेकिन पंजाब सरकार ने इस दिशा में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही एसवाईएल के विषय का समाधान होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा