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हरिद्वार, 21 फरवरी (हि.स.)। अखिल विश्व गायत्री परिवार विश्व के करीब अस्सी देशों में फैला हुआ है। सभी देशों के परिजन शांतिंकुज, हरिद्वार के प्रति विशेष आस्था रखते हैं और अपने परिवार व समाज विकास के लिए सामूहिक गायत्री यज्ञ व विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करते हैं। इन्हीं कार्यक्रमों के संचालन हेतु देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या अपने यूरोप के प्रवास के दौरान लातविया पहुंचे। उन्होंने लातविया की राजधानी रीगा में नवगठित गायत्री परिवार के सहयोग से गायत्री यज्ञ का भव्य आयोजन का संचालन किया। यह आयोजन बाल्टिक देशों और भारत के बीच गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ज्ञात हो कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय में एशिया का पहला और विश्व का सबसे बड़ा बाल्टिक संस्कृति एवं अध्ययन केंद्र स्थापित किया गया है, जहां लातवियाई परिजन लगातार आते हैं।
देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या के मार्गदर्शन में गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी शर्मा की जन्मशताब्दी वर्ष 2026 कार्यक्रम की शृंखला के तहत पहली बार लातविया के गायत्री परिवार परिजनों ने ज्योति कलश यात्रा यज्ञ किया। इसमें सौ से अधिक लातवियाई परिजनों ने भाग लिया और अपने घरों में ज्योति कलश व देव स्थापना करवाया और नियमित गायत्री उपासना, साधना व आराधना का संकल्प लिया। बताया कि यह ज्योति कलश अब लिथुआनिया की यात्रा करेगा, जहां गायत्री यज्ञ, देव स्थापना व अन्य कार्यक्रम सम्पन्न करायेगा।
उल्लेखनीय है कि यह आयोजन माइनस तीन डिग्री ठंड के बीच संपन्न हुआ। बड़ी संख्या में आध्यात्मिक जिज्ञासुओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष रूप से प्रभावशाली बना दिया। इस आयोजन को बाल्टिक और भारतीय संस्कृति के बीच आध्यात्मिक सहयोग के एक नए अध्याय के रूप में देखा गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला