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जगदलपुर, 21 फ़रवरी (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सल विरोधी अभियान को और तेज करने के लिए चार राज्यों ने मिलकर रणनीति बनाई है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी. के अनुसार नक्सलियों के खिलाफ अब निर्णायक लड़ाई शुरू हो चुकी है। सीपीआई (माओवादी) संगठन के बड़े लीडरों की प्रोफाइल तैयार कर ली गई है और जल्द ही उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बस्तर पुलिस सभी प्रतिबंधित माओवादी संगठनों के शीर्ष कैडर्स की प्रोफाइल तैयार कर जिले के थानों के साथ साझा कर दी है। इसके तहत छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश की इंटरस्टेट पुलिस मिलकर संयुक्त अभियान चलाएगी। संयुक्त अभियान के तहत सिर्फ नक्सली नेताओं को ही नहीं बल्कि उनके सप्लाई चैन को भी तोड़ने की रणनीति बनाई गई है। दवाई, खाना, हथियार और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने वाले नेटवर्क पर भी कड़ा एक्शन लिया जाएगा। चार राज्यों की सहमति के साथ जल्द ही यह ऑपरेशन शुरू किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का संकल्प लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ में पहले से ही करीब 40 बटालियन तैनात हैं। कोबरा बटालियन के जवान भी इस व्यापक तैनाती का हिस्सा हैं। इसके साथ ही नई बटालियनों की तैनाती कर सरकार द्वारा तय समय-सीमा के भीतर बस्तर के अंदरूनी इलाकों पर नियंत्रण स्थापित करना है। हालांकि अधिकारी मानते हैं कि दक्षिण बस्तर में चुनौतीपूर्ण भूभाग के कारण वहां ऑपरेशन के लिए निरंतर तकनीकी सहायता, हेलीकॉप्टर और संसाधन आवश्यक होंगे। सीआरपीएफ का लक्ष्य बस्तर में अतिरिक्त फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) स्थापित करने के लिए कोबरा इकाइयों के साथ सहयोग करना है। पिछले तीन वर्षों में, नक्सल विरोधी अभियानों को और मजबूत करने के लिए राज्य भर में लगभग 40 एफओबी स्थापित किए गए हैं। बस्तर संभाग में नक्सलियों के अंदरूनी आधार वाले इलाकों में सुरक्षाबलों के नए-नए कैंप भी स्थापित किए गए हैं, जिससे नक्सली बैकफुट पर हैं। बस्तर में पिछले 13 महीनों में फोर्स ने लगभग 240 से अधिक नक्सली मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं, इसमें कई बड़े कैडर्स के नक्सली भी शामिल हैं।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने आज चर्चा करते हुए बताया कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है। आगे हमारा प्रयास रहेगा कि जो बढ़त हमारे सुरक्षाबलाें को हासिल हुई है, उसे सावधानी पूर्वक बरकरार रखते हुए, नक्सलियों का विकास विरोधी, जन विरोधी असली चेहरा लोगों के सामने आए। बस्तर के लोग नक्सलवाद के आतंक से त्रस्त हाे चुके हैं, नक्सलियों से मुक्ति पाने के लिए इंतेजार में हैं.। यह निर्णायक लड़ाई मार्च 2026 तक भारत से नक्सलवाद को खत्म करने की केंद्र व राज्य सरकार की रणनीति में एक महत्वपूर्ण चरण का प्रतीक है। निरंतर प्रयासों और रणनीतिक तैनाती के साथ, बस्तर जैसे नक्स्ल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति लाने की उम्मीद है।
हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे