फिल्म अभिनेता आदित्य पंचोली की सजा को बरकार रखते हुए कोर्ट ने दी राहत
मुंबई, 21 फरवरी (हि.स.)। मुंबई की एक सत्र अदालत ने अभिनेता आदित्य पंचोली की सजा को बरकरार रखते हुए राहत दी है। मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें दी गई एक साल की जेल की सजा कम कर दी और उन्हें अच्छे व्यवहार के बांड पर रिहा कर दिया। पंचोली को पीड़ित को मुआवजे
फिल्म अभिनेता आदित्य पंचोली की सजा को बरकार रखते हुए कोर्ट ने दी राहत


मुंबई, 21 फरवरी (हि.स.)। मुंबई की एक सत्र अदालत ने अभिनेता आदित्य पंचोली की सजा को बरकरार रखते हुए राहत दी है। मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें दी गई एक साल की जेल की सजा कम कर दी और उन्हें अच्छे व्यवहार के बांड पर रिहा कर दिया। पंचोली को पीड़ित को मुआवजे के तौर पर 1.5 लाख रुपये देने का भी निर्देश दिया गया।

कोर्ट के समक्ष दी गई दलीलों के अनुसार 21 अगस्त 2005 को पंचोली ने अंधेरी में पार्किंग की जगह को लेकर प्रतीक पशीने नामक व्यक्ति पर हमला किया था। वर्सोवा पुलिस ने पंचोली के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने उस व्यक्ति की नाक पर हमला किया था, जिससे उसकी नाक टूट गई थी। 2016 में अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत ने पंचोली को भारतीय दंड संहिता की धारा 325 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत दोषी पाया। इसके बाद पंचोली को एक साल की कैद की सजा सुनाई गई और पीड़ित को 20,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया। इसके बाद पंचोली ने डिंडोशी सत्र अदालत में आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। उन्होंने दावा किया था कि पीड़ित और उनकी पत्नी के बयानों में कई विसंगतियां थीं और उन्हें झूठा फंसाया गया था। उन्होंने दावा किया था कि बिल्डिंग के चौकीदार या अन्य सदस्यों की जांच नहीं की गई।

सेशन कोर्ट ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा कि गवाहों के बयान और मेडिकल सर्टिफिकेट मामले को साबित करने के लिए काफी हैं। कोर्ट ने कहा कि 'इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि घटना 20 साल पहले हुई थी। आरोपित एक 71 वर्षीय प्रमुख अभिनेता है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और पार्किंग को लेकर हुए विवाद में अचानक यह हरकत हुई। ट्रायल कोर्ट ने इन पहलुओं पर पर्याप्त रूप से विचार नहीं किया। आरोपित के साथ क्रूर व्यवहार नहीं किया जाता। लंबित मुकदमे के दौरान अभियुक्त का किसी भी अपराध से जुड़ा कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, इसलिए दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए, मुझे लगता है कि दी गई सजा को संशोधित किया जाना चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव