'टाइम' की 13 प्रभावशाली महिलाओं की सूची में भारत की पूर्णिमा देवी बर्मन भी
न्यूयॉर्क, 20 फरवरी (हि.स.)। प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका 'टाइम' की इस वर्ष की 'वुमन ऑफ द ईयर' सूची में दुनियाभर की 13 प्रभावशाली महिलाओं को शामिल किया गया है। सूची में भारतीय जीव-विज्ञानी एवं वन्यजीव संरक्षणकर्ता का नाम भी है। टाइम्स की सूची में श
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न्यूयॉर्क, 20 फरवरी (हि.स.)। प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका 'टाइम' की इस वर्ष की 'वुमन ऑफ द ईयर' सूची में दुनियाभर की 13 प्रभावशाली महिलाओं को शामिल किया गया है। सूची में भारतीय जीव-विज्ञानी एवं वन्यजीव संरक्षणकर्ता का नाम भी है। टाइम्स की सूची में शामिल 45 वर्षीय पूर्णिमा देवी बर्मन एकमात्र भारतीय महिला हैं। इस सूची में अभिनेत्री निकोल किडमैन और फ्रांस की गिसेल पेलिकॉट का नाम भी है।

टाइम पत्रिका ने पूर्णिमा बर्मन की प्रोफाइल में लिखा है कि उन्हें 2007 का वह दिन आज भी याद है, जब असम में रहते वक्त उन्हें एक फोन आया और उन्हें बताया गया कि एक पेड़ काटा जा रहा है, जो 'ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क' (धेनुक, एक प्रकार का पक्षी) के परिवार का घर था। प्रोफाइल के मुताबिक इस किस्से के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। उन्होंने वहां पहुंचकर मौके पर पूछा कि पेड़ क्यों काटा जा रहा है? बर्मन ने कहा, ''सभी (धेनुक) ने मुझे घेर लिया और चहचहाना शुरू कर दिया।'' इस समय उनके जहन में अपनी नवजात जुड़वां बेटियों का ख्याल आया, क्योंकि धेनुक की तरह वे भी बहुत छोटी थीं। उन्हें लगा कि प्रकृति पुकार रही है। प्रोफाइल में उल्लेख किया गया है कि उस समय असम में लगभग 450 बड़े धेनुक बचे थे। पूर्णिमा के लंबे संघर्ष का नतीजा यह है कि वर्ष 2023 में धेनुक को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के वर्गीकरण के तहत लुप्तप्राय स्थिति से हटाकर निकट संकटग्रस्त श्रेणी में लाया गया है। आज असम में धेनुक की आबादी 1,800 से ज्यादा हो गई है।

विभिन्न सूचना माध्यमों में उपलब्ध के अनुसार ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क (धेनुक) चिड़िया को हर्गिला या हड्डी निगलने वाला भी कहा जाता है। धेनुक के संरक्षण के लिए पूर्णिमा ने अपनी पीएचडी की पढ़ाई स्थगित कर दी। पेड़ों की कटाई के खिलाफ महिलाओं को लामबंद किया। लंबे अंतराल के बाद उन्होंने 2019 में पीएचडी की पढ़ाई पूरी की। पूर्णिमा ने इस काम के लिए लगभग 20 हजार महिलाओं की टीम तैयार की है। उन्होंने इसे हर्गिला आर्मी का नाम दिया है। असम की सीमाओं को लांघता हुआ उनका काम पूरे भारत और कंबोडिया तक पहुंच गया है। फ्रांस जैसे दूरदराज के स्कूलों में पूर्णिमा बर्मन के काम के बारे में पढ़ाया जाता है। उन्होंने गुवाहाटी यूनिर्वसिटी से जंतु विज्ञान (जूलॉजी) विषय में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। इस क्षेत्र में उन्होंने कई महत्वपूर्ण काम किए हैं। नतीजा सामने है। 20 फरवरी को टाइम ने उनको 2025 के 'वुमन ऑफ द ईयर' की सूची में शामिल किया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद