कलाग्राम में संगीत और लोकनृत्यों की प्रस्तुतियों में दर्शकों ने लगाई डुबकी
महाकुम्भ नगर, 21 फरवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ के सेक्टर 7 में स्थित कलाग्राम के पंडाल में शुक्रवार को संगीत और लोकनृत्यों के संगम में दर्शकों ने डुबकी लगाई। यह प्रस्तुति भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कुम्भ में कलाकारो
कलाग्राम में संगीत और लोकनृत्यों की प्रस्तुतियों में दर्शकों ने लगाई डुबकी


महाकुम्भ नगर, 21 फरवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ के सेक्टर 7 में स्थित कलाग्राम के पंडाल में शुक्रवार को संगीत और लोकनृत्यों के संगम में दर्शकों ने डुबकी लगाई। यह प्रस्तुति भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कुम्भ में कलाकारों के रंगारंग कार्यक्रम से कलाग्राम निखर उठा।

विविध सांस्कृतिक विविधताओं से ओत-प्रोत भव्य मंच पर विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देकर श्रद्धालुओं को खूब रोमांचित किया। सांस्कृतिक कुंभ में अलग अलग राज्यों की लोक संस्कृति को देखने का मौका पर्यटकों को मिल रहा है।सांस्कृतिक संध्या में पहली प्रस्तुति कर्नाटक से आए शिवाराज एवं दल ने कमसाले नृत्य से किया। उनके इस नृत्य शैली में सौंदर्य की उत्कृष्टता और युद्ध निपुणता का मिश्रण देखने को मिला।

गढ़वाल नृत्यु की प्र​स्तुति ने पौराणिक गाथा को किया जीवंत

अगली प्रस्तुति उत्तराखंड से आए रोशन लाल एवं साथी कलाकारों द्वारा वाद्य यंत्रों की थाप और धुनों पर गढ़वाल नृत्य प्रस्तुत कर मंच पर पौराणिक गाथा को जीवंत किया। इसके बाद कर्नाटक से आए मालिकार्जुन वस्वराज एवं दल द्वारा सिर पर लंबी पगड़ी लगाए और हाथों में ढोल लिए मधुर तान पर कर्नाटक का फोक डांस ढोलू कूनिठा पेश कर खूब तालियां बटोरी। इस नृत्य में ढोल की थाप सुन कर दर्शकों में ऊर्जा का संचार होता है।

पद्मश्री गद्दम सम्मैया की चिन्धु यक्षगान नृत्य से झूमें दर्शक

पद्मश्री गद्दम सम्मैया और साथी कलाकारों द्वारा चिन्धु यक्षगान नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इसके बाद अगली प्रस्तुति हेमन्त शर्मा एवं दल द्वारा हरियाणा का लोकनृत्य पेश किया गया। इसके बाद गुरु गोपीनाथ द्वारा पारंपरिक नृत्य थिरुवथिरा की प्रस्तुति दी गई, इस नृत्य में नर्तक ताली बजाते हैं और प्रेम, सौंदर्य एवं भक्ति की प्रशंसा करते हुए केरल की संस्कृति की झलक पेश करते हैं। इसके बाद आंध्र प्रदेश की हरिकथा विशेषज्ञ डी. उमा माहेश्वरी और साथी कलाकारों द्वारा संगीत, नृत्य और कविता के माध्यम से हरिकथा की मनोरम प्रस्तुति दी गयी। समित त्यागी एवं साथी कलाकारों ने अपनी मधुर और भक्तिमय प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किय। इस मौके पर काफी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल