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नैनीताल, 21 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड की विभिन्न जिला बार एसोसिएशनों के अध्यक्षों और पदाधिकारियों ने नैनीताल हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डी.एस. मेहता की अध्यक्षता में बैठक कर केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में किए जा रहे संशोधन विधेयक, 2025 का विरोध जताया। अधिवक्ताओं ने इसे अधिवक्ता हितों के खिलाफ बताते हुए विधेयक को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की।
विरोध कर रहे अधिवक्ताओं का कहना है कि विधेयक की धारा 45बी के तहत अधिवक्ताओं के कदाचार के लिए उत्तरदायित्व तय किया गया है, जिससे उनकी स्वतंत्रता बाधित होगी। उनका तर्क है कि यदि किसी व्यक्ति को अधिवक्ता के आचरण से नुकसान होता है, तो बीसीआई के नियमों के तहत पहले से ही शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था मौजूद है। ऐसे में यह नया प्रावधान अधिवक्ताओं के स्वतंत्र और प्रभावी कार्य में हस्तक्षेप करेगा।
विरोध कर रहे अधिवक्ताओं ने कहा कि झूठी गवाही और कदाचार के मामलों के लिए पहले से ही आपराधिक कानूनों में प्रावधान मौजूद हैं। धारा 45बी न्याय प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकती है और न्याय को अंतिम छोर तक पहुंचाने में अवरोध पैदा करेगी। इसलिए, उन्होंने सरकार से इस संशोधन को तुरंत निरस्त करने की मांग की।
हिन्दुस्थान समाचार / लता