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बिलासपुर, 21 फ़रवरी (हि.स.)। बलौदा बाजार हिंसा और आंदोलन में शामिल होने के गंभीर आरोप में सजा काट रहे अभियुक्तों को हाइकोर्ट से जमानत मिली है। 112 अभियुक्तों को जमानत दी गई है। दरअसल छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार 13 जून 2024 को थाना सिटी कोतवाली, बलौदा बाजार में शिकायत दर्ज कराई है कि सतनामी समाज के कुछ लोगों ने 10 जून 2024 को मारपीट, तोड़फोड़ और आगजनी की घटना को इस आधार पर अंजाम दिया कि 15/16 मई, 2024 को ग्राम महाकोनी, थाना अमरगुफा, गिरौदपुरी में सतनामी समाज के स्मारक को क्षतिग्रस्त कर सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। बड़े पैमाने पर सार्वजनिक संपत्ति और सार्वजनिक भवन को नुकसान पहुंचा था। जिसमें कलेक्ट्रेट भवन में 257 से अधिक वाहन जलाए गए, जिसमें सरकारी अधिकारियों के वाहन, तीन अग्निशामक वाहन और आम जनता के कई वाहन भी शामिल हैं।
इस मामले में शासकीय अधिवक्ता ने शुक्रवार काे जानकारी देते हुए बताया कि पारिवारिक न्यायालय के एक न्यायिक अधिकारी के वाहन भी जलाए गए, जिसके लिए एक अलग एफआईआर दर्ज की गई। अपराध की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए, जिसके परिणामस्वरूप पूरे राज्य की शांति और कानून का शासन नष्ट हो गया और साथ ही दंगे भड़काने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में अभियुक्त आवेदकों की भूमिका को देखते हुए, सभी जमानत आवेदनों को खारिज करने की मांग रखी। जिसपर हाइकोर्ट ने पक्षकारों के अधिवक्ता की जिरह और डायरी का अवलोकन किया और नारायण मिरी (सुप्रा) के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर विचार किया। इस तथ्य पर विचार करते हुए कि आवेदक पिछले 7-8 महीनों से जेल में हैं, आरोप-पत्र दाखिल किया जा चुका है तथा इस तथ्य पर भी विचार करते हुए कि मुकदमे के निष्कर्ष में कुछ समय लग सकता है, इसलिए आवेदकों को हिरासत में रखने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा। ऐसे में मामले के गुण-दोष पर कोई और टिप्पणी किए बिना आवेदक को जमानत देने के लिए उपयुक्त मामले हैं।
हाइकोर्ट की सिंगल बैंच ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 483 के तहत दायर सभी जमानत आवेदनों को स्वीकार किया और सभी आवेदकों को तत्काल जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। वहीं यह निर्देश दिया है कि आवेदकों को प्रत्येक को 25 हजार रुपये की राशि के व्यक्तिगत बांड के साथ संबंधित ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए समान राशि के एक जमानतदार के साथ जमानत पर रिहा किया जाएगा। उन्हें ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई प्रत्येक तारीख को ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है, जब तक कि ट्रायल का निपटारा नहीं हो जाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Tripathi