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नैनीताल, 21 फरवरी (हि.स.)। राज्य सरकार द्वारा लागू की गई समान नागरिक संहिता में 'लिव इन रिलेशनशिप' के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता व रजिस्ट्रेशन के फॉर्मेट को असंवैधानिक ठहराए जाने को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस याचिका को भी अन्य याचिकाओं के साथ सम्बद्ध कर दिया है । इन सभी याचिकाओं की सुनवाई की तिथि 1 अप्रैल निर्धारित है ।
लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे एक जोड़े की याचिका की 18 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार को जबाव दाखिल करने को कहा था । इस क्रम में आज शुक्रवार को राज्य व केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये राज्य व केंद्र सरकार का पक्ष रखा।
इस दौरान याचिकाकर्ता जोड़े की तरफ से बहस करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचन्द्रन ने बताया कि लिव इन रजिस्ट्रेशन के लिए कई तरह का विवरण मांगा जा रहा है, जो कि व्यक्ति की निजता का हनन है। उन्हाेंने कहा कि सरकार को किसी व्यक्ति की निजता को जानने का अधिकार नहीं है। रजिस्ट्रेशन में इस तरह के प्रावधान पक्षपातपूर्ण भी हैं, क्योंकि शादी के रजिस्ट्रेशन में ऐसी सूचनाएं नहीं मांगी जा रही हैं, जैसी लिव इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन के लिये मांगी जा रही हैं। याचिकाकर्ता इस जोड़े में लड़का महाराष्ट्र निवासी है जबकि लड़की रानीखेत निवासी है ।
हिन्दुस्थान समाचार / लता