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गुवाहाटी, 21 फरवरी (हि.स.)। राज्य के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री केशव महंत ने कहा है कि बंदरों और चूहों द्वारा किए जा रहे उपद्रव के लिए आपदा प्रबंधन विभाग जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार जंगली हाथियों या अन्य जानवरों द्वारा किए जाने वाले उपद्रव की भरपाई आपदा प्रबंधन विभाग करता है, लेकिन कहीं भी चूहा और बंदर के उपद्रव को इस श्रेणी में नहीं रखा गया है। चूहा और बंदर न तो घरेलू श्रेणी में है, न ही जंगली की श्रेणी में। मंत्री महंत शुक्रवार को असम विधानसभा के चालू बजट अधिवेशन के चौथे दिन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की कटौती प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर दे रहे थे।
चर्चा के दौरान सदस्यों द्वारा बंदरों एवं चूहों से हो रहे फसलों का नुकसान पर चिंता जताई गई और सरकार से क्षतिपूर्ति करने की मांग की गई। इस चर्चा में विधायक अजय कुमार राय, बिपुल बर्मन, चरण बोड़ो, अमीनुल इस्लाम (जूनियर), प्रतिपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया समेत सत्ता तथा प्रतिपक्ष के कई सदस्यों ने भाग लिया।
चर्चा के बाद विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि सन् 1874 में असम के राजस्व विभाग का गठन किया गया था। वहीं, अंग्रेजी जमाने में 1886 में राजस्व से संबंधित पहला कानून असम लैंड एंड रिवेन्यू रेगुलेशन एक्ट 1986 बनाया गया। इस कानून के बनने के डेढ़ सौ वर्षों में कोई भी सरकार भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकी। आजादी के बाद की कई सरकारों ने समय-समय पर इस कानून में संशोधन किया। लेकिन आज भी यही कानून मूल रूप से विद्यमान है।
मंत्री ने कहा कि तीन वर्ष पहले मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की सरकार गठित होने के साथ ही मुख्यमंत्री ने काजीरंगा में मंत्रियों के तीन दिनों की बैठक बुलाई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सरकार भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान मिशन के रूप में करेगी। और यहीं से मिशन बसुंधरा की परिकल्पना शुरू हुई। मंत्री ने बताया कि किस प्रकार बसुंधरा एक, दो और तीन के जरिए भूमि संबंधी समस्याओं का स्थाई समाधान किया गया है।
अपने जवाब में मंत्री ने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा इस दरमियान बाढ़ राहत तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किस प्रकार व्यापक पैमाने पर लोगों को राहत पहुंच गए। मंत्री ने इस दौरान इस संबंध में विस्तृत आंकड़ा सदन में प्रस्तुत किया।
अधिवेशन के चौथे दिन आज अंत में वित्त विभाग से संबंधित दो विधेयक प्रस्तुत किए गए। वहीं, पहले दिन सदन के पटल पर चर्चा के लिए प्रस्तुत राइट टू पब्लिक सर्विसेज अमेंडमेंट बिल 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके बाद विधानसभा की कार्रवाई को 3 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश