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देहरादून, 21 फरवरी (हि.स.)। विधानसभा सत्र के चौथे दिन शुक्रवार को भू-कानून सहित और अन्य विधेयक सदन में पारित किए गए। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संतुलन और आमजन के अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त भू-कानून नितांत आवश्यक था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भू-कानून पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि अध्यादेश में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। आज उत्तराखण्ड विधानसभा में भू-कानून को अधिक सशक्त करते हुए ऐतिहासिक संशोधन विधेयक पारित किया गया। भू-कानून से राज्य की जमीन बचेगी और यह कानून राज्यवासियों के लिए हितकर साबित होगा।
धामी ने कहा कि राज्य बनने के बाद लगातार राज्य विकास में भू-प्रबंधन को लेकर काम हुए हैं। इसी को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने यह प्रयास किया। राज्य के 11 जनपदों में भूमि खरीदने पर रोक लगी है। अब शासन स्तर पर अनुमति मिलेगी। भू-प्रबंधन क़ानून से भू-माफिया और भूमिधरों के बीच अंतर पहचानने में मदद मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कृषि एवं औद्योगिक प्रयोजन हेतु खरीद की अनुमति जो कलेक्टर स्तर पर दी जाती थी। किसी भी व्यक्ति के पक्ष में स्वीकृत सीमा में 12.5 एकड़ से अधिक भूमि अंतर्करण को 11 जनपदों में समाप्त कर केवल जनपद हरिद्वार एवं उधम सिंह नगर में राज्य सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा आवासीय परियोजन के लिए 250 वर्ग मीटर भूमि क्रय हेतु शपथ पत्र अनिवार्य कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि शपथ पत्र गलत पाए जाने पर भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों के अंतर्गत थ्रस्ट सेक्टर एवं अधिसूचित खसरा नंबर भूमि क्रय की अनुमति जो कलेक्टर स्तर से दी जाती थी, उसे समाप्त कर, अब राज्य सरकार के स्तर से दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में डेमोग्राफिक में चेंज बदलाव आया है। जनभावनाओं के अनुरूप सख्त प्रावधान किया गया है। उधमसिंहनगर-हरिद्वार का ख्याल रखा गया है कि औद्योगिक इकाइयों को परेशानी न हो। उधमसिंहनगर-हरिद्वार की जनता से बात कर यह निर्णय लिया गया है। वन भूमि और सरकारी भूमियों से अवैध अतिक्रमण हटाया गया है। 3461.74 एकड़ वन भूमि से कब्जा हटाया गया है। यह कार्य इतिहास में पहली बार हमारी सरकार ने किया। इससे इकोलॉजी और इकॉनमी दोनों का संरक्षण मिला है।
उन्होंने कहा कि जिस परियोजना के लिए भूमि क्रय की गई वैसा काम किया नहीं गया। कुछ लोगों ने भूमि खरीद का दुरुपयोग किया। प्रदेश में औद्योगिक, पर्यटन, शैक्षणिक, स्वास्थ्य व कृषि एवं औद्यानिक प्रयोजन आदि के लिए आतिथि तक राज्य सरकार एवं कलेक्टर के स्तर से कुल 1883 भूमि क्रय की अनुमति प्रदान की गई । उक्त प्रयोजनों / आवासीय प्रयोजनों हेतु क्रय की गयी भूमि के सापेक्ष कुल 599 भू-उपयोग उल्लंघन के प्रकरण प्रकाश में आये हैं, जिनमें से 572 प्रकरणों में उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश-2001) की धारा 166/167 के अन्तर्गत वाद योजित किये गये हैं। 16 प्रकरणों में वाद का निस्तारण करते हुए 9.4760 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार में निहित की गयी है। अवशेष प्रकरणों में कार्यवाही की जा रही है।
ये विधेयक हुए पारित:
-नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्रावधान (संशोधन) विधेयक।
- उत्तराखंड निक्षेपक हित संरक्षण विधेयक।
- विधानसभा राज्य विधायकों की पेंशन (संशोधन) विधेयक।
- उत्तराखंड नीरसन विधेयक।
-उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन तथा विकास (संशोधन) विधेयक।
- उत्तराखंड राज्य क्रीड़ा विश्वविद्यालय विधेयक।
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों और पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण (संशोधन) विधायक।
-कुशल खिलाड़ियों के लिए क्षैतिज आरक्षण विधायक।
-उत्तराखंड नीजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक।
-उत्तराखंड भू कानून को लेकर उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था (संशोधन) विधेयक।-------------
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार